नई दिल्ली: यूपी समेत पांच राज्यों में 10 जनवरी से विधान सभा चुनाव होने हैं. इससे पहले किसान संगठनों ने बड़ा फैसला लिया है. जानकारी के मुताबिक 31 जनवरी को किसान संगठन केंद्र सरकार के खिलाफ विश्वासघात दिवस मनाएंगे. इस दौरान देशभर के सभी जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार के खिलाफ पुतले जलाए जाएंगे.


लखीमपुर खीरी का दौरा करेंगे किसान नेता


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किसान नेता राकेश टिकैट ने कहा कि 'हम 21 जनवरी से 3-4 दिनों के लिए उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का दौरा करेंगे और प्रभावित किसान परिवारों से मुलाकात करेंगे. हम अपने आंदोलन की आगे की कार्रवाई पर चर्चा करेंगे और रणनीति बनाएंगे.' 


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21 जनवरी को 'विश्वासघात दिवस' मनाएंगे किसान नेता


भारतीय किसान संघ के नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अभी तक केंद्र ने एमएसपी पर न तो कोई समिति बनाई है और न ही इस पर हमसे संपर्क किया है. लखीमपुर खीरी कांड में शामिल होने वाले राज्यमंत्री को भी सरकार ने नहीं हटाया है. अगर सरकार हमारी मांगों का जवाब नहीं देती है तो हम 31 जनवरी को 'विश्वासघात दिवस' मनाएंगे.


पंजाब चुनाव को लेकर भी हुई चर्चा


किसान नेताओं की दिल्ली में चल रही बैठक में ये फैसला लिया गया है. इस बैठक में किसान संगठनों के पंजाब में चुनाव लड़ने पर भी चर्चा हो रही है. कुछ संगठनों का मानना है कि चुनाव लड़ने वाले किसान नेताओं को संयुक्त मोर्चा से बाहर किया जाए.


सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा करने के लिए हुई बैठक


बता दें कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ ही अन्य मांगों पर सहमति बनने के बाद 11 दिसंबर, 2021 को संयुक्त मोर्चा ने प्रदर्शन समाप्त करते हुए घर वापसी की थी. घर वापसी से पहले मोर्चा ने 15 जनवरी को फिर से बैठक कर उनकी मांगों के संबंध में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा का ऐलान किया था.


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ये भी लिए गए फैसले


गौरतलब है कि इससे पहले बीते शुक्रवार को भी दिल्ली में एक बैठक हुई. संयुक्त किसान मोर्चा की कोर कमेटी ने इस बैठक में कई फैसले लिए गए थे. जिनमें से ये प्रमुख हैं-


1. चुनावों में भाजपा के विरोध से बचेगा संयुक्त किसान मोर्चा.
2. दिल्ली में हुई मोर्चा की कोर कमेटी में बनी सहमति के मुद्दों पर शनिवार सिंघु बार्डर की बैठक में लिया जाएगा अंतिम निर्णय.
3. सरकार के लिए तैयार होगा एमएसपी पर कमेटी गठन सहित पुरानी मांगों संबंधी स्मरण पत्र का ड्राफ्ट.
4. चुनाव लड़ने वाले किसान संगठन और नेताओं को संयुक्त किसान मोर्चा से दिखा जाएगा बाहर का रास्ता.



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