Farmers Protest: किसानों ने सरकार को चेताया- `आग से न खेले`, फिर ठुकराया कानून में संशोधन का प्रस्ताव
एक तरफ सरकार उम्मीद जता रही है कि बातचीत से हल निकाल लिया जाएगा लेकिन किसानों ने एक बार फिर कानून (Farm Law) में संशोधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं. कानून रद्द करने से कम पर मामने को तैयार नहीं हैं.
नई दिल्ली: 28वें दिन भी किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जारी है. एक बार फिर बातचीत का प्रयास फेल हो गया है. किसानों ने सरकार का नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) में संशोधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. सरकार कह रही है कि वह कानून को वापस नहीं लेगी तो किसान अपनी मांग पर अडिग हैं. किसानों ने एक बार फिर कहा है कि सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती आंदोलन जारी रहेगा. यह फैसला सिंघु बॉर्डर पर 40 किसान संगठनों की बैठक में लिया गया.
सरकार को चेतावनी
सिंघु बॉर्डर पर 'संयुक्त किसान मोर्चा' के तमाम संगठनों के बीच चली लम्बी बैठक के बाद किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा, जानबूझ कर सरकार इस मामले को लटकाना चाहती है और किसान का मनोबल तोड़ना चाहती है लेकिन हम संशोधन पर तैयार नहीं हैं. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, 'सरकार आग से खेल रही है इसके परिणाम देखने को मिल सकते हैं.' वहीं किसान नेता शिवकुमार काका ने कहा, इस कानून में सबसे बड़ी समस्या ये है कि सरकार कॉर्पोरेट को किसानी में प्रवेश कराना चाहती है. ये कानून (Farm Law) अमेरिका में लागू हुए वहां खेती-किसानी दो प्रतिशत रह गयी. किसान आत्महत्या कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि अब तक की बैठकों में एमएसपी (MSP) पर कोई चर्चा हो नहीं हो पायी है. उन्होंने बीतचीत के लिए सरकार को अच्छा माहौल बनाने की नसीहत दी.
'किसान अंदोलन को बदनाम करने का प्रयास'
योगेंद्र यादव ने कहा, सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने का फैसला संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) के तमाम संगठनों के बीच लम्बी बैठक में लिया गया है. उन्होंने सरकार द्वारा भेजी गई 20 तारीख की चिट्ठी का जवाब पढ़कर सुनाया. भारत सरकार के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल द्वारा किसानों के पिछले जवाब को अस्पष्ट बताने पर उन्होंने जवाब दिया कि जो भी निर्णय लिया गया है वह सर्व सम्मति से लिया गया है. इस पर सवाल उठाना गलत है. उन्होंने सरकार के पत्र को किसान अंदोलन को बदनाम करने का प्रयास बताया. उन्होंने कहा सरकार तथाकथित किसान नेताओं से बात करके आंदोलन (Farmers Protest) को खत्म करने का प्रयास कर रही है. इस पर हैरानी जताई कि कानून खत्म करने के लिए सरकार आखिर उनके तर्क क्यों नहीं समझ पा रही है. उन्होंने कहा कि एमएसपी (MSP) पर सरकार की तरफ से अभी तक कोई स्पष्ट प्रस्ताव नहीं मिला है. साथ ही 'राष्ट्रीय किसान आयोग' की सिफारिश पर एमएसपी के लिए कानून की गारंटी की मांग की.
गुमराह करने का आरोप
किसान नेचा हनन मोल्लाह ने कहा, हम समस्या का समाधान चाहते हैं लेकिन सरकार हमारे साथ धोखा कर रही है. उन्होंने कहा सरकार सोचती है कि किसान थक जाएंगे और आंदोलन खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं होगा. यह आंदोलन केवल पंजाब, हरियाणा के किसानों का नहीं है बल्कि पूरे देश के किसानों का आंदोलन है. 29 तारीख को पटना और चेन्नई में रैली होगी. कल महाराष्ट्र में अडानी और अंबनी के सामान का बायकॉट किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ये आंदोलन अडानी अम्बानी की लूट के खिलाफ है.
यूपी सरकार पर भी निशाना
सान नेता गुरनाम सिंह ने सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, सरकार ये भ्रम फैला रही है कि किसान बात नहीं कर रहे जबकि हम खुले मन से हल चाहते हैं. उन्होंने सरकार से अपील की, 23 की 23 फसलें एमएसपी पर खरीदी जाएं. किसानों ने यूपी सरकार पर भी निशाना साथा. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को आंदोलन में जाने से रोकने के लिए मुचलके भरवा रही है. लेकिन आंदोलन और तेज होगा. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ,कर्नाटक, महाराष्ट्र का किसान भी पहुंच चुका है.
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