`DNA फिंगर प्रिंट` के जनक और राजीव गांधी मर्डर केस में जांच करने वाले डॉ. लालजी सिंह का निधन
भारत में डिएनए फिंगर प्रिंट के जनक माने जाने वाले डॉक्टर लालजी सिंह का रविवार को हार्ट अटैक के कारण उत्तर प्रदेश के वाराणसी में निधन हो गया.
नई दिल्ली: भारत में डिएनए फिंगर प्रिंट के जनक माने जाने वाले डॉक्टर लालजी सिंह का रविवार को हार्ट अटैक के कारण उत्तर प्रदेश के वाराणसी में निधन हो गया. जानकारी के अनुसार जौनपुर के ब्लॉक सिकरारा कलवारी गांव निवासी डॉ. लालजी सिंह अपने गांव आए हुए थे. वे रविवार को हैदराबाद के लिए रवाना होने वाले थे, उनकी फ्लाइट बाबतपुर एयरपोर्ट से शाम साढ़े पांच बजे की थी. उन्हें शाम करीब 4 बजे दिल का दौरा पड़ गया. आनन-फानन में उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान रात करीब 10 बजे उनका देहांत हो गया. डॉ. लालजी बीएचयू के 22 अगस्त 2011 से 22 अगस्त 2014 तक कुलपति भी रह चुके हैं.
DNA फिंगर प्रिंट के जनक
डॉक्टर लालजी सिंह ने भारत में पहली बार क्राइम इन्वेस्टिगेशन के लिए साल 1988 में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का इस्तेमाल किया. पितृत्व से जुड़े इस मामले को सुलझाने के लिए साल 1991 में, सिंह ने पहला डीएनए फिंगरप्रिंटिंग आधारित सबूत भारतीय न्यायालय में पेश किया. इसके बाद से कई मामलों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया.
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डीएनए फिंगरप्रिंटिंग से मामलों को सुलझाने में मिलने वाली बड़ी मदद के बाद इस तकनीक को भारत की कानूनी प्रणाली में सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा. इस क्षेत्र में सिंह के काम को देख भारत सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी के लिए 1995 में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) के लिए एक स्वायत्त संस्थान, डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) बनाने के लिए प्रेरित किया. ताकि देश में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग सेवाएं मिल सके. इसका प्रमुख उद्देश्य ह्यूमन आइडेंटिफिकेशन था.
राजीव गांधी मर्डर केस में किया DNA फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग की तकनीक का इस्तेमाल डॉक्टर लालजी सिंह ने हत्या से जुड़े कई मामलों को सुलझाने में किया. जिसमें से एक राजीव गांधी हत्याकांड का मामला भी था. इसके साथ ही नैना साहनी जो तंदूर मर्डर केस के नाम से मशहूर था, इस मामले में भी हत्यारे को पकड़ने में डॉ. लालजी सिंह की डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक ने अहम भूमिका निभाई. इनके अलावा स्वामी श्रद्धानंद, सीएम बेअंत सिंह, मधुमिता और मंटू मर्डर केस की जांच और उसे सुलझाने के लिए इंडियन डीएनए फिंगर प्रिंट तकनीक का इस्तेमाल किया गया.