Bag Full Of Notes Returned By Fish Seller: ईमानदारी की मिसाल वाली घटनाएं तो आपने कई सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको ईमानदारी की मिसाल पेश करने वाली एक ऐसी खबर के बारे में बताते हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. पश्चिम बंगाल (West Bengal) के उत्तर 24 परगना के बशीरहाट (Basirhat) में मछली बेचने वाले (Fish Seller) एक शख्स ने ईमानदारी की एक अनूठी मिसाल पेश की. मछली बेचने वाले मोहम्मद अबू काशेम गाजी को 3 साल पहले सड़क पर एक नोटों से भरा बैग मिला था, जिसे उन्होंने अपने पास संभल कर रख लिया. उनको यकीन था कि एक दिन उस बैग का असली हकदार उन्हें जरूर मिलेगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही. असली मालिक को ढूंढ कर अबू ने पैसों से भरा बैग लौटा दिया.


टीचर ने छोड़ दी थी पैसे वापस मिलने की उम्मीद


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि बशीरहाट में डांडेरहाट के नगेंद्र कुमार हाई स्कूल के टीचर चम्पक नंदी का 3 साल पहले एक नोटों से भरा बैग बाजार में खो गया था, जो बार-बार ढूंढने के बाद भी नहीं मिला. इसके बाद चम्पक ने उम्मीद ही छोड़ दी थी कि उन्हें उनका बैग अब कभी वापस मिलेगा. यहां तक कि समय के साथ-साथ वो भी इस घटना को भूल चुके थे.


आर्थिक संकट में भी अबू ने पैसों को नहीं लगाया हाथ


लेकिन मछली बेचने वाले मोहम्मद अबू काशेम गाजी इस घटना को नहीं भूले. उन्होंने बताया कि उस दिन बाजार में बहुत भीड़ थी और उन्होंने देखा कि उनकी दुकान के पास कोई बैग छोड़ कर चला गया है. जब कई दिन तक ढूंढने के बाद भी उस बैग का असली मालिक नहीं मिला तो अबू ने उस बैग को संभाल कर अपने पास रख लिया, लेकिन उस वक्त अबू को नहीं पता था कि उस बैग में क्या है. बाद में जब अबू ने बैग को खोल कर देखा तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. उस बैग में 70 हजार रुपये थे, जिसमें नोटों के बंडल रखे हुए थे. उन्होंने उस बैग को अपनी पत्नी को संभाल कर रखने को दे दिया, जिसे उन्होंने अलमारी में रख दिया. उसके बाद लॉकडाउन के दौरान जब अबू का काम बंद पड़ गया था तब भी उन्होंने उन पैसों को हाथ नहीं लगाया.


ये भी पढ़ें- BJP नेता ने CM उद्धव को बताया नया दाऊद, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग



ऐसे चला पैसों के असली मालिक का पता


उसके बाद अचानक से एक दिन जब दोबारा अबू और उसकी पत्नी को लगा कि इतने साल बाद भी जब कोई उस बैग का हकदार नहीं आया तो उन्होंने उन पैसों को मस्जिद में दान कर देने के बारे में सोचा. जब दोबारा उस बैग को खोला और ध्यान से देखा तो पाया कि उसमें एक स्टेशनरी की दुकान का कैश मेमो था. बस फिर क्या था, बिना किसी देरी के अबू उस नोटों से भरे बैग को लेकर उस दुकान पर पहुंच गए और पूछने पर यह साफ हो गया कि वो बैग चम्पक नामक उसी टीचर का था जिसकी वो स्टेशनरी की दुकान थी.


3 साल बाद अपने पैसे को वापस देख चम्पक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने यह भी बताया की उस बैग में एक रुपया भी काम नहीं था. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि आज के इस युग में ऐसे लोगों मिलना बहुत कठिन है.


जान लें कि मोहम्मद अबू काशेम गाजी एक बेहद गरीब परिवार से हैं और केवल मछली बेचकर ही अपना गुजारा करते हैं. उनकी इस ईमानदारी को देखते हुए एक ऐसी मिसाल कायम हुई है कि शायद ही कोई ऐसा हो जो उनकी तारीफ ना करे. टीचर चम्पक की बहुत मिन्नतों के बाद मोहम्मद अबू काशेम गाजी ने 10 हजार रुपये इनाम के तौर पर स्वीकार किए. इतना ही नहीं बशीरहाट थाने के IC सुरिंदर सिंह ने भी अबू को बुलाकर उनका सम्मान किया और फूलों का गुलदस्ता दिया.


LIVE TV