नई दिल्ली: एक महिला ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया कि उनकी नाबालिग बेटी के साथ एक बाल देखभाल संस्थान में क्रूर व्यवहार (Cruel Treatment) किया गया और उसका जबरन धर्म परिवर्तन (Forced Religion Conversion) किया गया. बाल कल्याण समिति (CWC) ने नाबालिग लड़की को बाल देखभाल संस्थान भेजा था. 


सरकार से याचिका पर मांगा जवाब 


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मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ (Bench) ने नोटिस (Notice) जारी कर केंद्र और दिल्ली सरकार (Central and Delhi Government) से याचिका (Petition) पर जवाब मांगा. याचिका में याचिकाकर्ता (Petitioner) और उनकी नाबालिग बेटी के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) के कथित उल्लंघन (Violation) के लिए 5 करोड़ रुपये का मुआवजा (Compensation) देने का भी अनुरोध किया गया है. अदालत (Court) ने अधिकारियों को जवाब देने के लिए समय देते हुए मामले में अगली सुनवाई (Hearing) के लिए 9 अप्रैल की तारीख तय की. 


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याचिका में लगाया आरोप 


इस याचिका में किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) कानून व मॉडल नियमों (Juvenile Justice (Care and Protection) Laws and Model Rules) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती (Challenge the Provisions) दी गई है जो सीडब्ल्यूसी (CWC) के अधिकारों, कार्यों और गठन से संबंधित हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि किशोर न्याय कानून (Juvenile Justice Law) के प्रावधानों से सीडब्ल्यूसी को मनमाने अधिकार मिले हैं जिससे महिला और उनकी बेटी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन (Violation of Fundamental Rights) होता है. 



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सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फंसाया


याचिका में दावा किया गया कि महिला की नाबालिग बेटी (Minor Daughter) को दो गैर सरकारी संगठनों (NGOs) के सामाजिक कार्यकर्ताओं (Social Workers) ने फंसाया और बच्चे के यौन शोषण (Sexual Exploitation) की झूठी प्राथमिकी (Fake FIR) दर्ज कराई गई और लड़की को मॉडल नियमों का उल्लंघन (Violation of Model Rules) करते हुए 5 दिनों के बाद सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया गया. 


ईसाई धर्म में धर्म परिवर्तन करवाया


याचिका (Petition) में आरोप लगाया गया है कि बच्ची को मनमाने ढंग से संस्थागत देखभाल (Institutional Care) में भेज दिया गया जहां उसकी मां की सहमति के बिना उसका ईसाई धर्म (Christianity) में धर्म परिवर्तन (Religion Change) करवा दिया गया और 5 महीने से भी अधिक समय तक उसके साथ क्रूर व्यवहार (Cruel Treatment) कर शोषण (Exploitation) किया गया. 


(इनपुट - भाषा)


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