Alzheimer रोग एक तेजी से बढ़ती वैश्विक समस्या है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2050 तक इस स्थिति से पीड़ित लोगों की संख्या तीन गुना हो जाएगी. विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका जैसे उप-सहारा देशों में यह बड़ी समस्या है. अल्जाइमर का कोई सटीक इलाज नहीं है. हालांकि, शोधकर्ताओं ने बीमारी से जुड़े कई प्रमुख कारकों की पहचान की है. इनमें उम्र, आनुवंशिकी, जीवनशैली और अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियां शामिल हैं. अब एक चीनी वैज्ञानिक के खुलासे ने दुनिया को हैरान कर दिया है. हे जियानकुई नाम के एक चीनी वैज्ञानिक ने खुलासा किया है कि मानव भ्रूण में बदलाव करके इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. इसे लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि विज्ञान में नैतिक रूप से यह ठीक नहीं है.


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गौरतलब है कि हे जियानकुई अपने एक एक्सपेरिमेंट की वजह से जेल भी जा चुके हैं. उन्होंने साल 2018 में जीन संसोधन के जरिए एक बच्चा बनाया था, जिसके लिए उन्हें 3 साल की जेल हुई थी, क्योंकि यह चिकित्सा पद्धति अवैध है. हे जियानकुई पिछले साल ही जेल रिहा हुए हैं जिसके बाद उन्होंने ऐलान किया था कि वो बीजिंग में एक रिसर्च लैब की स्थापना करेंगे. तब से लेकर अब तक हे जियानकुई जीन थेरेपी के जरिए बीमारियों के इलाज पर काम कर रहे हैं. इस तरह की रिसर्च को लेकर उनकी खूब आलोचना होती आई है.


अब हे जियानकुई के ऐलान से पूरी दुनिया हैरान है. ट्विटर पर अपने के बारे में बताते हुए जियानकुई कहते हैं कि एडिटेड जीन वाले चूहे के भ्रूण और मनुष्य के निषेचित अंडाणु को लेकर इस बात का पता लगाना चाहिए कि इस तरह का म्यूटेशन अल्जाइमर के खिलाफ प्रोटेक्टशन देता है या नहीं? हांलाकि चीनी वैज्ञानिक के इस रिसर्च की भी काफी आलोचना हो रही है. सीधी भाषा में कहें तो हे जियानकुई अनुवांशिकी बदलाव करके अल्जाइमर का इलाज करना चाहते हैं. लेकिन कई रिसर्चर का मानना है कि उनका यह शोध बिलकुल पागलपन है.


(इनपुट: एजेंसी)