मॉस्को: भारत-चीन के रिश्तों (India-China Ties) में बढ़ती दरार पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर (EAM Jaishankar) ने पड़ोसी देश को खरी-खरी सुनाई है. जयशंकर ने कहा कि गलवान वैली (Galwan Valley) की घटना के बाद भारत (India) और चीन (China) के रिश्तों में कड़वाहट आ गई है. दोनों देशों के रिश्तों नींव हिल गई है. पिछले कई दशकों से चीन के साथ भारत के संबंध स्थिर थे.


बीते 40 साल में स्थिर थे भारत-चीन के संबंध


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बता दें कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस वक्त रूस के दौरे पर हैं. उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कह रहा कि पिछले 40 साल में भारत और चीन के बीच कोई समस्या खड़ी नहीं हुई लेकिन बिजनेस आराम से चलता रहा. इस बीच चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर (Biggest Trading Partner) भी बना.


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चीन ने नहीं किया समझौतों का पालन


जयशंकर ने कहा कि पिछले 1 साल में जो भी हुआ, उससे भारत और चीन एक-दूसरे से दूर हुए हैं. चीन ने बॉर्डर को लेकर किए गए समझौतों का पालन नहीं किया. विदेश मंत्री ने गलवान की घटना की ओर भी इशारा किया.


उन्होंने आगे कहा कि बॉर्डर पर शांति ही किसी देश की उसके पड़ोसी देश के साथ रिश्तों की बुनियाद होती है. गलवान के बाद भारत-चीन के रिश्तों की बुनियाद हिल गई.


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भारत और चीन के बीच परमाणु हथियारों की रेस के सवाल पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि चीन 1964 में न्यूक्लियर पावर बन गया था और भारत ने 1998 में परमाणु बम का सफल परीक्षण किया. चीन का न्यूक्लियर प्रोग्राम ज्यादा बड़ा है.


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