मुंबई : पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने मंगलवार को कहा कि यदि महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना देश को एकजुट रखने की अपनी कोशिशों में कामयाब हो गए होते, तो भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास अलग होता।


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उन्होंने कहा कि गांधी और जिन्ना महान नेता थे जिन्होंने बंटवारा रोकने और भारत को एकजुट रखने के लिए सामूहिक रूप से काम किया था।


कसूरी ने कहा, ‘‘यदि गांधीजी और जिन्नासाहेब की कोशिशें सफल हो गई होती तो उप महाद्वीप का इतिहास अलग होता।’’ 2002 से 2007 तक विदेश मंत्री रहे कसूरी मणि भवन की यात्रा करने के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। यह स्थान मुंबई में 1917 से 1934 के बीच गांधीजी की गतिविधियों के लिए मुख्य केंद्र था।


कसूरी ने कहा, ‘‘उन्होंने हिंदू मुस्लिम को एकजुट करने के लिए 18 दिनों तक कोशिशें की थी और एक सौहाद्र्रपूर्ण समझौते की कोशिशें की गई। काश कि वे सफल हुए होते। लेकिन मुझे इस बात का जिक्र करने दीजिए कि जिन्ना ने कैबिनेट मिशन योजना :1946: को स्वीकार कर लिया था जो सत्ता हस्तांतरण और संविधान गठन के बारे में था। बाकी मैं इतिहास पर छोड़ता हूं।’’ उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री के तौर पर उन्होंने हमेशा ही समन्वय की गुंजाइश खोजने की कोशिश की जहां देानों देश उन क्षेत्रों में सहमत हो सकें और आगे बढ़ें।


उन्होंने मणि भवन की आगंतुक पुस्तिका में अपनी टिप्पणी भी लिखी। उन्होंने लिखा, ‘‘यहां होना बड़ी ही खुशी की बात है। गांधीजी ने हिंदुओं और मुसलमानों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने खिलाफत आंदोलन के दौरान दोनों को एकजुट करने की काफी कोशिशें की थी।’’ कसूरी के साथ भाजपा के पूर्व सदस्य और स्तंभकार सुधींद्र कुलकर्णी भी थे।