`बार-बार अपराध न करने वाले व 14 साल या अधिक सजा काट चुके अपराधियों को जमानत दें`
न्यायालय (Court) ने अपने एक आदेश (Order) में कहा है कि बार-बार अपराध (Crime) न करने वाले और 14 साल या अधिक सजा (Punishment) काट चुके अपराधियों (Criminals) को जमानत (Bail) देने पर सोचा जा सकता है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने एक महत्वपूर्ण आदेश (Order) में शुक्रवार को कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) उन दोषियों को जमानत मंजूर (Bail Granted) करने पर विचार कर सकता है जिन्होंने बार-बार अपराध (Crime) नहीं किया है और जो 14 वर्ष या उससे अधिक की जेल (Jail) की सजा काट चुके हों क्योंकि इससे लंबित मामले (Pending Cases) घटेंगे. शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने यह भी कहा कि जिन अपराधियों (Criminals) ने 10 से 14 साल तक की जेल की सजा काट ली हैं उनकी उच्च न्यायालय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान जमानत याचिका (Bail Plea) पर विचार किया जा सकता है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने क्या कहा?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) और इसकी लखनऊ पीठ (Lucknow Bench) में अगस्त 2021 तक लंबित आपराधिक अपीलों (Pending Criminal Appeals) की कुल संख्या एक लाख 83 हजार थी. उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में 7,214 अपराधी ऐसे हैं जो 10 साल से अधिक सजा काट चुके हैं और उनकी आपराधिक अपीलें उच्च न्यायालय में लंबित हैं. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) द्वारा उन दोषियों को जमानत (Bail) के मुद्दे से निपटने के सामान्य निर्देशों के अनुपालन न किए जाने को लेकर 'नाराज' थी जिन्होंने सजा (Punishment) की काफी अवधि काट ली है और निकट भविष्य में उनकी अपील पर सुनवाई की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है.
ये भी पढें: भाजपा के रोड शो में घुसा सपा प्रत्याशी का काफिला, मचा बवाल
पीठ ने क्या कहा?
इसके बाद पीठ (Bench) ने उच्च न्यायालय द्वारा दोषियों (Convicts) को जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ दायर ऐसे 21 मामलों में जमानत दे दी. पीठ ने कहा, ‘तथ्य मौजूद हैं. यदि एक दोषी व्यक्ति ने 14 वर्ष या उससे अधिक की सजा काट ली है तो उसके मामले पर सजा में छूट की संभावना है. अदालत (Court) को चाहिए कि वह या तो जिला अधिकारियों (District Officials) को शेष सजा माफ करने की अर्जी पर 3 माह के भीतर विचार को लेकर निर्देश दे या तो उसे जमानत पर रिहा (Release) कर दे.’
'ऐसे दोषियों की जमानत मंजूर की जानी चाहिए'
पीठ ने उच्च न्यायालय (High Court) और राज्य सरकार (State Government) की ओर से पेश वकील (Advocate) को अपना वह निर्देश मानने को कहा कि ऐसे दोषियों की जमानत मंजूर की जानी चाहिए. न्यायालय ने कहा, ‘हमने वकील को बता दिया है. उन सभी मामलों की एक सूची बननी चाहिए जिसमें दोषियों ने 14 साल की सजा काट ली है और वे बार-बार अपराध (Crime) करने वाले नहीं हैं.’ पीठ ने कहा, ‘इन सभी मामलों में जमानत (Bail) एक बार में ही दे देनी चाहिए. दूसरी श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जिन्होंने 10 वर्ष से अधिक की सजा काट ली है और यदि कोई विशेष परिस्थिति न हो तो जमानत एक बार में ही दी जानी चाहिए. ये दो मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए.’
ये भी पढें: यूक्रेन में फंसा MBBS कर रहा छात्र, वापस बुलाने को मां-बाप के पास पैसे नहीं
'याचिकाओं के निस्तारण में मुश्किल से 15 से 20 मिनट लगते हैं'
न्यायालय ने कहा कि 20 जमानत याचिकाओं के निस्तारण (Disposal of Bail Applications) में मुश्किल से 15 से 20 मिनट लगते हैं और उच्च न्यायालय (High Court) में ऐसे मामलों की सूची बनाकर जमानत दी जा सकती है जिनमें अपराधी (Criminal) 14 वर्ष या उससे अधिक या 10 से 14 साल के बीच जेल की सजा काट चुके हैं.
(इनपुट - भाषा)
LIVE TV