अहमदाबादः गुजरात की बीजेपी सरकार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल को गुजरात राज्य वक्फ बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया है. पटेल बोर्ड में नव नियुक्त10 सदस्यों में शामिल हैं. राज्य के विधि विभाग ने सोमवार को एक अधिसूचना के जरिए नियुक्तियों का ऐलान किया था. पटेल के अलावा, वांकानेर से विधायक मोहम्म्द जावेद पीरजादा को भी सदस्य बनाया गया. अन्य सदस्यों में सज्जाद हीरा, अफजल खान पठान, अमाद भाई जाट, रूकैया गुलामहुसेनवाला, बद्र उद्दीन हलानी, मिर्जा साजिद हुसैन, सिराज भाई मकडिया और असमा खान पठान शामिल हैं. 


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आपको बता दें कि अगस्त 2017 में अहमद पटेल कांग्रेस से राज्यसभा चुनाव जीते थे. अहमद पटेल ऐसे नेता हैं जो टेलीविजन कैमरों की चकाचौंध से दूर रहने और पर्दे के पीछे से राजनीत करने में यकीन रखते हैं. कांग्रेस पार्टी में उनका कद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद तीसरे नंबर का माना जाता है. तीसरे नंबर की हैसियत रखते हुए भी पटेल कांग्रेस की सियासत पर अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं.


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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने कांग्रेस परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है. पटेल, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भी विश्वासपात्र रहे. इसके बाद वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम करते आ रहे हैं. पटेल ने 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभायी. पटेल इंदिरा गांधी की नजर में उस समय आए जब वह 1977 में भरूच से लोकसभा सीट जीतकर आए. उस समय पटेल संसद पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के सांसद थे. 1977 के आम चुनावों में कांग्रेस की जबर्दस्त हार हुई थी. इस आम चुनाव में खुद इंदिरा गांधी भी हार गयी थीं.


कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए अहमद पटेल कभी मंत्री नहीं बने. पटेल पूर्व पीएम राजीव गांधी के भी करीब और विश्वासपात्र रहे. अपने करीब 40 साल के राजनीतिक जीवन में पटेल ने कांग्रेस पार्टी के लिए कई मौकों पर संकटमोचक की भूमिका निभायी है. जानकारों का कहना है कि गुजरात में पटेलों को बीजेपी के खिलाफ लाने पर अहमद की खास भूमिका रही है. अब शाह उनका संसद का रास्ता रोकने का पूरा प्रयास कर रहे हैं.


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1996 में पटेल को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया था. उस समय सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 2000 सोनिया गांधी के निजी सचिव वी जॉर्ज से मनमुटाव होने के बाद उन्होंने ये पद छोड़ दिया था. बाद में 2001 में सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बन गए.


(इनपुट भाषा से)