अयोध्या/नई दिल्ली: अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद (Ram janmabhoomi case) पर सबसे बड़ा फैसला आने में बस थोड़ा सा वक्त बाकी है. सबसे बड़े फैसले पर ZEE NEWS की सबसे बड़ी कवरेज में हम आपको इस फैसले से जुड़ी हर हलचल के साथ अयोध्या से सांप्रदायिक सौहार्द की कहानियां भी दिखा रहे हैं. आज हम आपको दिखाएंगे सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी (Guru Gobind singh Ji) का अयोध्या और श्रीराम से प्रेम. आज हम आपको सोलहवीं सदी में लड़े गए उस भीषण युद्ध की पूरी कहानी सुनाने जा रहे है जिसमें चिमटाधारी साधुओं और गुरु गोबिंद सिंह की सिख सेना ने मिलकर मुगलों से राम जन्मभूमि की रक्षा की थी. राम जन्मभूमि के लिए लड़े गए सिखों के युद्ध की कहानी सांप्रदायिक सौहार्द की सबसे बड़ी कहानी है.


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गुरुद्वारा ब्रह्म कुंड के मुख्य ग्रंथी गुरजीत सिंह खालसा ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी यहां पर आए थे छह साल की अवस्था में सन् 1672 में उस समय वो रामजन्मभूमि गए ​थे और बंदरों को चने खिलाए थे. गुरु गोबिंद सिंह जी ने वहां से निहंग सिखों का बड़ा सा जत्था भेजा अयोध्या में, जिन्होंने राम जन्मभूमि को युद्ध करके आज़ाद करवाया और हिन्दुओं को सौंप कर वो पंजाब वापस चले गए. दिगंबर अखाड़ा प्रमुख महंत सुरेशदास ने भी इस तथ्य की पुष्टि करते हुए कहा कि सिख धर्म अलग नहीं है वो हिंदू धर्म से ही अलग हुआ है. इसलिए सिख धर्म को बचाने के लिए गुरु गोबिंद सिंह आए थे.