Gyanvapi Case Hearing: ज्ञानवापी पर ASI की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होगी या नहीं? कोर्ट आज सुनाने जा रहा बड़ा फैसला
Gyanvapi ASI Report: ज्ञानवापी परिसर का जो सर्वे ASI ने किया था, उसकी रिपोर्ट सबके सामने आनी चाहिए या नहीं, इस पर आज फैसला हो जाएगा. वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है.
Gyanvapi Case Update: ज्ञानवापी पर सर्वे रिपोर्ट (Gyanvapi Survey Report) सार्वजनिक होगी या नहीं, आज इस पर वाराणसी कोर्ट फैसला (Varanasi Court Verdict) सुनाएगा. ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट को लेकर जहां हिंदू पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट की कॉपी तुरंत दिए जाने की अपील की है. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई है. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि रिपोर्ट की कॉपी शपथ पत्र देकर ही दी जाए, जिसमें वादा हो कि रिपोर्ट लीक नहीं की जाएगी. रिपोर्ट की मीडिया कवरेज पर भी रोक लगाने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद
वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की तैयारी में है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि ज्ञानवापी के मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से खारिज करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
सामने आएगा ज्ञानवापी का सच?
बता दें कि जिला अदालत के आदेश से ज्ञानवापी में ASI ने बीते 24 जुलाई को सर्वे शुरू किया था. सर्वे रिपोर्ट तैयार करने और उसे अदालत में दाखिल करने में 153 दिन लग गए. ASI की ओर से सर्वे रिपोर्ट के साथ ही डीएम को सुपुर्द किए गए सबूतों की लिस्ट भी कोर्ट में दाखिल की गई है.
कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट
बता दें कि 18 दिसंबर को ये रिपोर्ट दो सील बंद लिफाफों में एएसआई की टीम ने अदालत में पेश की थी. बताया गया कि एक लिफाफे में 500 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट है. जबकि दूसरे लिफाफे में करीब 50 पन्नों की समरी रिपोर्ट है. फिलहाल सबकी निगाहें कोर्ट में पेश एएसआई के सर्वे रिपोर्ट पर टिकी हैं. जिस पर आज सुनवाई होनी है.
ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट क्यों अहम?
अब ये भी जान लीजिए की ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट अहम क्यों है? दरअसल, एएसआई की रिपोर्ट में वैज्ञानिक सबूत संभव हैं. ज्ञानवापी को लेकर किए गए दावों का सच इससे सामने आ सकता है. विवाद की तस्वीर साफ हो सकती है. ये रिपोर्ट मसला सुलझाने में मददगार साबित हो सकती है. इस मामले में सही पक्ष का पता लग सकता है.
ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट आने तक क्या-क्या हुआ?
- 21 जुलाई को वाराणसी की जिला अदालत ने यह पता लगाने के लिए परिसर के एक वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दिया था कि क्या मस्जिद का निर्माण ‘पहले से मौजूद एक मंदिर की संरचना पर किया गया था. जिला और सेशन जज एके विश्वेश ने एएसआई को विवादित संपत्ति की वैज्ञानिक जांच और सर्वे करने का निर्देश दिया था. यह सर्वे वजूखाना, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील कर दिया गया था, क्षेत्र को छोड़कर पूरे परिसर में किया जाना था.
- फिर सर्वे पर रोक लगाने की मांग करते हुए मस्जिद कमेटी के इलाहाबाद हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद सर्वे रोक दिया गया था.
- दोनों अदालतों से मंजूरी मिलने के बाद सुरक्षा व्यवस्था के बीच 4 अगस्त को फिर से सर्वे शुरू हुआ था. निर्धारित समय खत्म होने के बाद एएसआई ने सर्वे पूरा करने के लिए अदालत से और वक्त मांगा था.
- अपने आवेदन में अधिक समय की मांग करते हुए एएसआई ने कहा था, ‘जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट हैदराबाद के विशेषज्ञों की एक टीम एक जीपीआर यानी ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार सर्वे भी कर रही है और उस डेटा का एनालिसिस और अध्ययन किया जा रहा है.
- इसमें हवाला दिया गया था कि मस्जिद के तहखाने में बहुत सारा मलबा पाया गया है. जिसने संरचना को ढक लिया है. इसमें आगे कहा गया था, मलबे को बहुत सावधानी से और व्यवस्थित रूप से हटाया जा रहा है. जो एक धीमी प्रक्रिया है और सर्वे के लिए तहखाने की जमीन को साफ करने से पहले कुछ और समय लेगी.
- 12 दिसंबर को अंतिम सुनवाई के दौरान एएसआई ने रिपोर्ट सौंपने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा था. जो उसे मिल गया था. अदालत ने एएसआई को रिपोर्ट सौंपने के लिए आठवीं बार समय विस्तार दिया था.
- फिर 19 दिसंबर को अदालत में ASI ने एक सील कवर रिपोर्ट सौंप दी.