Hail Formation: दिल्ली और एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में हाल में जमकर बारिश हुई है. कई जगहों पर ओले भी गिरने की खबर है. क्या आप  जानते हैं बारिश के साथ ओले क्यों गिरने लगते हैं. गर्मी के मौसम गर्मी में भी आसमान से ओले गिरने लगते हैं. जानतें कैसे आसमान में बनती हैं ये बर्फ के टुकड़े.


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ऐसे बनते हैं ओले
-नदियों और समुद्र से पानी भाप बनकर ऊपर उठता है,  तो नियमित प्रक्रिया में ये बादल बनाता है.


-बादल जब सघन होने लगते हैं तो पानी बरसाना शुरू करते हैं. बारिश काफी हद तक हवा की गति, दबाव और तापमान पर भी निर्भर करती है.


-समुद्र तल की अपेक्षा जैसे-जैसे हम उंचाई की और बढ़ते है, तो तापमान धीरे -धीरे कम होता जाता है.


-आसमान में ऊंचाई पर तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां मौजूद हवा में नमी पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जमने लगता है.


-इन जमी हुई बूंदों पर पानी और जमता जाता है और धीरे-धीरे ये बर्फ के टुकड़े या बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेता हैं.


आसमान से बारिश और ओलों का बरसना
-ये गोले ज्यादा वजनी हो जाते हैं तो आसमान से धरती पर गिरने लगते हैं. हालांकि गर्म हवा से टकरा कर ये गोले पिघल जाते हैं और पानी की बूंदों में बदल जाते हैं जो कि बारिश के रूप में नीचे  गिरते हैं.


-हालांकि कुछ बर्फ के टुकड़े अधिक मोटे होते हैं वो पिघल नहीं पाते हैं और नीचे धरती पर छोटे-छोटे गोल टुकड़ों के रूप में गिर जाते हैं. यही ओले होते हैं.


ओलावृष्टि से नुकसान
ओलावृष्टि फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाती है. इसके अलावा यह विमान, ऑटोमोबाइल, कांच की छत वाली संरचनाओं, रोशनदानों को भी नुकसान पहुंचाती है. 


ओलावृष्टि की सबसे अधिक संभावना सर्दियों और मानसून से पहले होती है. आमतौर पर मार्च और अप्रैल में ओला कम गिरता है. लिहाजा इस समय ओले गिरना सामान्य से अलग है.


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