Reason behind Congress defeat in Haryana: हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में खलबली मच गई है. हरियाणा के पूर्व मंत्री और पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अध्यक्ष अजय यादव ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व के बीच समन्वय खराब है. उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से संपर्क नहीं हो पा रहा है. अजय यादव ने कहा कि पार्टी को अहीरवाल क्षेत्र में अपनी विफलता पर आत्मचिंतन करना चाहिए, जहां उसे 11 सीटों में से सिर्फ एक सीट मिली.


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तो क्या कांग्रेस ने की अहीरवाल समाज की अनदेखी?


अजय यादव ने आगे कहा, 'कांग्रेस कार्यसमिति, पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति या हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति में अहीरवाल का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. पार्टी ने मुझे ओबीसी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है, जिसका कोई फायदा नहीं है, क्योंकि यह शक्तिहीन है. हम चुनाव हार गए, क्योंकि राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ कोई समन्वय नहीं था.'


क्या है हरियाणा में कांग्रेस की हार की असली वजह?


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अजय यादव ने पार्टी नेतृत्व पर विफलता का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'जब पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया अस्पताल में भर्ती थे, तो उनका कार्यभार किसी दूसरे नेता को क्यों नहीं सौंपी गई. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान खुद चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए वे उचित फीडबैक लेने और रणनीति को अंतिम रूप देने में उम्मीदवारों की मदद करने में विफल रहे.' अजय यादव ने आगे कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेताओं ने उनसे राहुल गांधी के रोड शो की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन नेता कभी उनके क्षेत्र में नहीं आए.


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ध्रुवीकरण और खराब चुनाव प्रबंधन भी वजह?


अजय यादव ने कहा, 'हमने रेवाड़ी में कुमारी शैलजा का कार्यक्रम तय किया था, लेकिन उन्होंने हेलीकॉप्टर की अनुपलब्धता के कारण आने में अनिच्छा जताई. फिरोजपुर झिरका से हमारे मौजूदा विधायक मम्मन खान का बयान भी हमारे खिलाफ गया. वे भारी अंतर से जीते, क्योंकि वहां अधिकांश मतदाता मुस्लिम थे, लेकिन हम उनके विवादास्पद बयानों के कारण हार गए. अभियान का नेतृत्व व्यक्तिगत स्तर पर किया गया और अन्य नेता गायब थे. हम ध्रुवीकरण और खराब चुनाव प्रबंधन के कारण हार गए.'


वरिष्ठ कांग्रेस नेता और रोहतक विधायक भारत भूषण बत्रा ने कहा कि खराब प्रबंधन और पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के अति आत्मविश्वास के कारण वे चुनाव हार गए. उन्होंने कहा, 'प्रचार के आखिरी सप्ताह में एससी और ओबीसी का भारी ध्रुवीकरण देखा गया और यह भाजपा के लिए कारगर रहा. हमें इस बात पर फिर से विचार करना होगा कि हमसे कहां कमी रह गई.' असंध के पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि पार्टी अंदरूनी कलह और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर अत्यधिक निर्भरता के कारण हारी, बत्रा ने कहा कि यह सच नहीं है. उन्होंने कहा कि गोगी की टिप्पणी पक्षपातपूर्ण है, क्योंकि उन्हें जब भी मौका मिलता है वे हुड्डा के खिलाफ बोलते हैं.


पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की वजह से हारी कांग्रेस?


विधानसभा चुनाव में असफल रहे कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने हार का ठीकरा अपनी ही पार्टी नेताओं पर फोड़ा है. उन्होंने कहा कि राज्य में पार्टी के वरिष्ठ नेता पार्टी उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित करने में सक्रिय रहे, जो अलग-अलग गुटों से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे शीर्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा, अजय यादव और रणदीप सुरजेवाला ने एक बार भी मंच साझा नहीं किया. दो रैलियों में हुड्डा और शैलजा मौजूद रहे, लेकिन अन्य नेता गायब रहे. भाजपा ने लोगों को यह बताकर सफलता हासिल की कि हरियाणा कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है और विधानसभा के नतीजे इसका प्रतिबिंब हैं.'