Haryana News: ED जज को 7 करोड़ रुपये रिश्वत देने के आरोप में बिल्डर समेत 4 लोग अरेस्ट, इस मुकदमे से निकलने की कर रहे थे कोशिश
ED Judge Sudhir Parmar: ईडी के जज सुधीर परमार को 7 करोड़ रुपये रिश्वत देने की कोशिश के आरोप में एजेंसी ने बिल्डर ललित गोयल समेत 4 लोगों को अरेस्ट किया है. एजेंसी इस मामले में जज की भूमिका की भी जांच कर रही है.
ED action in case of trying to bribe Judge Sudhir Parmar: ED ने IREO के मालिक ललित गोयल को जज को रिश्वत देने मामले में गिरफ़्तार किया. इसी मामले में ED ने M3M के डायरेक्टर/प्रोमोटर बसंत बंसल और पंकज बंसल को भी अरेस्ट किया. ED इस मामले में अब तक चार आरोपियों के गिरफ़्तार कर चुकी हैं. एजेंसी अब तक M3M के डायरेक्टर/प्रोमोटर बसंत बंसल, पंकज बंसल और जज सुधीर परमार के भतीजे अजय परमार को गिरफ़्तार कर चुकी है.
नवंबर 2021 से बंद है ललित परमार
ललित गोयल को ED ने फ़्लैट बॉयर्स से धोखाधड़ी के आरोप में नवंबर 2021 में गिरफ़्तार किया था और तभी से वो जेल में बंद है. आरोप है कि जेल से जल्दी जमानत लेने और रियायत के लिए जज को रिश्वत दी गयी, जिसके बाद हरियाणा पुलिस ने मामला दर्ज किया था. उसी पर ED ने मनी लॉंड्रिग का मामला दर्ज किया था.
बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल ने किया था संपर्क
रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में ED ने IREO ग्रुप के डायरेक्टर ललित गोयल को नवंबर 2021 में गिरफ्तार भी किया था जो फिलहाल जेल में बंद है. इस मामले को लेकर बीजेपी नेता सुंधाशु मित्तल, ललित गोयल की पत्नी के साथ ED मामलों के जज सुधीर परमार से मिले थे और राहत देने की बात की थी. सुधांशु मित्तल ललित गोयल के रिश्तेदार हैं.
एंटी करप्शन ब्रांच ने दर्ज किया था मुकदमा
जब एजेंसी को इस बात का पता चला कि आरोपी कहीं ना कही जज को भी अपने पक्ष में लेने की कोशिश कर रहे हैं तो उसके बाद मामले की जांच करके छापेमारी की. इसके बाद 17 अप्रैल 2023 को हरियाणा एंटी करप्शन ब्रांच ने जज सुधीर परमार और M3M के डायरेक्टर रूप कुमार बंसल और दूसरे आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
ईडी के जज को फायदा पहुंचाने की कोशिश
दर्ज मामले में लिखा है कि M3M के डायरेक्टर ने भी जज सुधीर परमार को फायदा पहुंचा कर ED में चल रहे मामलों में फायदा लेने की कोशिश की थी जिसके बदले में 5 से 7 करोड़ देने की बात तय थी. IREO ग्रुप की तरफ से भी 5 करोड़ देने की बात इस FIR में लिखी गयी है. ये पैसे सुधीर परमार के भतीजे अजय परमार के जरिए लिए जाते थे, जिसे M3M में जज सुधीर परमार के कहने पर ही लीगल एडवाइजर के तौर पर रखा गया था.