Hathras Stampede: हाथरस में सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 123 लोगों की जान चली गई. इस हादसे के हर पहलू की जांच हो रही है. भगदड़ के बाद भोले बाबा को लेकर कई खुलासे और गंभीर आरोप लग रहे हैं. 

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भोले बाबा के सेवादारों में अधिकतर महिलाएं
सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि भोले बाबा के दरबार में अधिकतर महिला सेवादार होती है. भोले बाबा के दौसा वाले आश्रम के आसपास के लोगों ने बाबा पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि बाबा भोले रसूखदार व्यक्ति हैं, जिनके दौसा आश्रम पर वीआईपी लोगों का आना-जाना रहता था. जब यहां बाबा का दरबार लगता था तब कॉलोनी निवासी भी आई कार्ड बाबा के प्राइवेट गार्ड को दिखाकर ही आ पाते थे. साथ ही बाबा भोले के सेवादारों में अधिकतर महिलाएं हुआ करती थी.  


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जानें कहां लगता था बाबा का दरबार
एसओजी की गिरफ्त में आए पेपर लीक के दोषी हर्षवर्धन पटवारी के मकान पर बाबा भोले का दिव्य और भव्य दरबार लगता था. इस दरबार में बाबा भोले के वीआईपी भक्त और महिलाएं सेवादार हुआ करती थी. बाबा के आगमन के दौरान इलाके में बाबा के प्राइवेट गार्ड ही मोर्चा संभालते थे. 


महिला सेवादार भक्तों को मारती लात, करती धक्का-मुक्की
न्यूज एजेंसी आइएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक पेपर लीक के आरोपी हर्षवर्धन मीणा के पड़ोसी पुरुषोत्तम ने बताया कि यहां पर बाबा के समागम के दौरान किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं हुआ करती थी. दिन में बाबा के लोग आते थे तथा रातभर कार्यक्रम चलता था, जिसके चलते आसपास का माहौल भी तंग रहता था. यहां के रहने वाले सचिन गुर्जर ने बताया कि बाबा भोले की थ्री लेयर की सुरक्षा हुआ करती थी. समागम के दौरान अधिकांश महिलाएं ही व्यवस्थाओं को संभालती थी. बाबा के आश्रम में महिला सेवादारों के कागजात भी मिले हैं. लोगों का तो यह भी कहना है कि कई बार बाबा के सेवादार महिला भक्तों के साथ धक्का-मुक्की करने के अलावा लातों से भी मारा करते थे. भोले बाबा समागम के दौरान झूले पर बैठकर प्रवचन करते थे.


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भोले बाबा का रौला
भोले बाबा का एटा, मैनपुरी, आगरा, अलीगढ़ जैसे इलाको के जाटव वोट बैंक में गहरी पैठ बताई जाती है. इसे देखते हुए राजनीतिक दल के नेता उसके साथ मंच शेयर करते रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि बाबा के कहने पर उसके अनुनायी नेताओं को चुनाव में मदद भी करते रहे हैं. बाबा के सियासी कद का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अपने कार्यक्रम में लोकल पुलिस को अंदर आने की इजाज़त नहीं देता था. हाथरस हादसे में भी ऐसा ही कुछ हुआ. रसूख से बाबा ने हर तरफ अपनी बैठ बना रखी थी.