PIL: समलैंगिकों को विवाह का अधिकार? हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल
हिन्दू मैरिज एक्ट में समलैंगिकों को शादी की इजाजत नहीं दी गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में इस मांग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने केंद्र सरकार से हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) और विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत समलैंगिक विवाह (same sex marriages) को मान्यता देने के अनुरोध को लेकर दायर जनहित याचिका पर जवाब देने को कहा है.
चार सप्ताह का समय
जस्टिस राजीव सहाय और आशा मेनन की पीठ ने याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के भीतर इसके जवाब में हलफनामा दायर करने को कहा है. याचिकाकर्ता अभिजीत अय्यर मित्रा ने याचिका में दावा किया है कि समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेण से बाहर रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह संभव नहीं हो पा रहा है.
क्या है मामला?
बता दें, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से देश में समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाया जा चुका है लेकिन हिन्दू मैरिज एक्ट में समलैंगिकों को शादी की इजाजत नहीं दी गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में इस मांग के साथ एक जनहित याचिका दायर की गई है.
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दायर याचिका में हाईकोर्ट से अनुरोध गया है, ‘चूंकि 1956 के हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 5 में समलैंगिक और विषमलैंगिक जोड़ों के बीच अंतर नहीं किया गया है, इसलिए समलैंगिक जोड़ों को विवाह के अधिकार के तहत मान्यता दी जानी चाहिए.’
केंन्द्र सरकार ने बीते सितबंर की 14 तारीख को दिल्ली उच्च न्यायालय में इस बाबत कहा था कि समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं दी जासकती है क्योंकि हमारा कानून, हमारा समाज और नैतिक मूल्य ऐसी मान्यता नहीं देते हैं.
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