Begusarai News: कुंभ में नियम बनाकर फर्जी बाबाओं को रोका जा सकता है. लेकिन उस नफरती सोच को कैसे रोका जाए. जिसके निशाने पर देश की आने वाली पीढ़ी यानी आज के बच्चे हैं. इस सोच के एजेंडा को गौर से देखें तो इसका मकसद नजर आता है. धर्म के प्रति बच्चों के अंदर गलत जानकारी का प्रचार प्रसार.


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बिहार के बेगूसराय में एक स्कूल के शिक्षक पर ऐसे ही आरोप लग रहे हैं. बच्चों के माता पिता का कहना है कि जियाउद्दीन नाम के शिक्षक ने हिंदुओं के परम पूजनीय बजरंग बली को लेकर गलत जानकारी बच्चों को दी. आरोपों के मुताबिक जियाउद्दीन ने क्लास में पढ़ रहे बच्चों से कहा कि बजरंग बली मुसलमान थे. चूंकि मामला बेगूसराय का था तो बेगूसराय से सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह ने भी इस मामले में कार्रवाई की अपील की.


हो सकता है कुछ लोग ये भी कहें कि गिरिराज सिंह तो नेता हैं. वो अपना एजेंडा जोड़कर ही बातें कहेंगे. इसी वजह से ज़ी न्यूज़ पहुंचा उस स्कूल तक जहां से ये विवाद शुरु हुआ और समझा किस तरह वीर बजंरगी को बता दिया गया मुसलमान.


शौर्य और शक्ति के प्रतीक वीर बजरंगी.. सेवा के प्रतीक हनुमान.. ज्ञान के भंडार अंजनिपुत्र.. बचपन से हर हिंदू बजरंग बली के बारे में यही सब सुनता आया है. उनकी स्वामिभक्ति और समर्पण को प्रेरणा मानता आया है. लेकिन बेगूसराय के बछवाड़ा में बच्चे जब क्लासरूम पहुंचे तो टीचर मोहम्मद गयासुद्दीन ने बजरंग बली को ही मुसलमान बता दिया. प्रभु श्रीराम का नाम नमाज से जोड़ दिया. अगर ये बच्चे घर पर जाकर माता पिता को ना बताते तो शायद मोहम्मद जियाउद्दीन की इस हरकत का पता भी नहीं चलता.


ऐसी बातों पर विवाद तो होना ही था. स्कूल में माता पिता आने लगे. खबर मीडिया में आ गई. तो मोहम्मद जियाउद्दीन ने माफी मांग ली. लेकिन एक ऐसी दलील के साथ, जो समझ से परे है. बात समझ में आती अगर मोहम्मद जियाउद्दीन ने ये कहा होता कि वो बजरंग बली में आस्था रखता है. लेकिन उसने बजरंग बली को मुसलमान बता दिया. बात तब भी स्वीकार की जाती.. अगर मोहम्मद जियाउद्दीन कहता कि प्रभु राम में हनुमान जी की असीम भक्ति थी. लेकिन जियाउद्दीन ने उल्टा प्रभु राम को ही नमाज कराने वाले बता दिया.


अगर बच्चों की बातों को सुनेंगे तो आपको भी लगेगा मोहम्मद जियाउद्दीन ने किसी एजेंडा के साथ ही बच्चों के अंदर हिंदू धर्म के प्रति बच्चों को गलत जानकारी देने की कोशिश की थी. हनुमान जी के लिए ऐसे शब्द, इशारा है कि मोहम्मद जियाउद्दीन के अंदर नफरती सोच भरी हुई थी. और इसी सोच को उसने भ्रामक जानकारी और गाली देने जैसी बातों के जरिए जाहिर किया. और जब बात का खुलासा हो गया तो जियाउद्दीन ने मुसल्लम ईमान की दुहाई देकर हाथ जोड़ लिए.