Sambhal News: संभल के मुस्लिम बहुल इलाकों में लगातार मंदिर निकलने के दावे सामने आ रहे हैं. सोमवार को कश्यप समाज का एक दल एडिश्ननल एसपी से मिलने पहुंचा और अपनी मांगों का ज्ञापन दिया. कश्यप समाज का दावा है कि संभल जामा मस्जिद के पास पृथ्वीराज चौहान के समय का भगवान विष्णु का प्राचीन शिव मंदिर है जिसकी पुनर्स्थापना की जाए.
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Sambhal News: संभल में कश्यप समाज के कुछ लोग अपनी मांगों को लेकर एडिशनल एसपी से मिलने पहुंचे. उन्होंने जामा मस्जिद के पास बन रही पुलिस चौकी के पास एक टीले का जिक्र करते हुए वहां अपनी धार्मिक आस्थाओं से जुड़े स्थल की पुनर्स्थापना की मांग की.
समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि उक्त टीले पर पहले एक पेड़ था, जिसे वे वर्षों से पूजते आ रहे थे. उनके अनुसार, इस स्थान पर पृथ्वीराज चौहान के समय से होली का आयोजन होता था, और कार्तिक महीने में विशेष पूजन संपन्न किया जाता था, लेकिन, 1978 के दंगों के दौरान इस पेड़ को नष्ट कर दिया गया.
कश्यप समाज ने बताया कि मोहल्ला कोट में पहले भगवान विष्णु का एक मंदिर था, जिसकी वे पूजा करते थे. उनका दावा है कि इसी स्थान पर उनके धार्मिक स्थल को पुनर्स्थापित किया जाए ताकि वे अपनी परंपराओं को पुनर्जीवित कर सकें.
समाज के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि उनकी आस्था और परंपराओं को बनाए रखने के लिए इस स्थान की पुनर्स्थापना जरूरी है. प्रशासन ने ज्ञापन स्वीकार करते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
भगवाधारी युवक का कारनामा
वहीं संभल के मुस्लिम बहुल इलाके लक्ष्मणगंज में जर्जर हालत में मिले बांके बिहारी मंदिर में भगवा वस्त्र पहने एक युवक पहुंचा और शंखनाद करने लगा. इससे पहले कि कोई कोई कुछ समझ पाता या उसे रोक पाता वह युवक वहां से भाग गया.
चंदोसी की बावड़ी में भी किया था शंखनाद
बताया जा रहा है कि संभल में जर्जर हालत में मिले बांके बिहारी मंदिर में शंखनाद करने वाला ये वही युवक है जिसने हाल ही में चंदोसी की बावड़ी में शंखनाद किया था. जानकारी के मुताबिक यही युवक बीते रविवार को चंदोसी में खुदाई में मिली बावड़ी पहुंचा था और उसने वहां भी शंखनाद किया था. हालांकि बावड़ी में युवक के शंखनाद के बाद बावड़ी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. बावड़ी स्थल पर पुलिस सख्ताई से चौकसी कर रही है.
ऐतिहासिकर धरोहर की जर्जर हालत !
बता दें बीते रविवार को राजस्व विभाग की टीम ग्राम गनेशपुर के लक्ष्मणगंज इलाके पहुंची और मंदिर के नाम जमीन के बारे में जानकारी जुटाई. इसके साथ ही राजस्व टीम ने जमीन की देखरेख करने वालों के बारे में भी जानकारी हासिल की. जर्जर हालत में मिला विशाल बांके बिहारी मंदिर करीब 22 बीघा जमीन पर बना है. मंदिर को जिले की ऐतिहासिक धरोहर माना जाता है कि लेकिन देखरेख के अभाव में मंदिर लगातार जर्जर होता चला गया. मंदिर के साथ एक कुंड भी है जो अब सूख चुका है. मंदिर के चारों तरफ 5 विशाल दरवाजे हैं, जिन्हें बंद करवाया जा चुका है.
मंदिर की जमीन से मोटी कमाई फिर भी जर्जर
हैरान करने वाली बात यह है मंदिर के नाम 90 बीघा जमीन है जिस पेशगी पर देकर मुरादाबाद का एक शख्स हर साल मोटी कमाई कर रहा है. अगर उसने जमीन की कमाई से आने वाले पैसे के 5 फीसदी भी मंदिर की देखरेख में लगाया होता तो मंदिर को ये जर्जर हालत नहीं होती.
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