Himachal Pradesh Government Crisis: भाजपा हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के पक्ष में है या सरकार बनाना चाहती है? जब यह सवाल आज सुबह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल से मिलकर बाहर आए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से पूछा गया तो उन्होंने एक लाइन में अपनी मंशा जाहिर कर दी. उन्होंने कहा कि हम तो सिर्फ एक ही बात कह रहे हैं. हम बजट में डिविजन मांग रहे हैं उसे सदन में मंजूर किया जाए. 


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वास्तव में, हिमाचल विधानसभा में अभी बजट सत्र चल रहा है. इस दौरान नो कॉन्फिडेंस मोशन यानी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion Against Himachal Government) नहीं लाया जा सकता है. ऐसे में बीजेपी का फोकस बजट पास न होने देने पर है. अगर किन्हीं कारणों से बजट पास नहीं होता है तो सरकार अपने आप गिर जाती है.



हिमाचल में भाजपा- कांग्रेस का नंबरगेम


- हिमाचल में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 40 और भाजपा के पास 25 विधायक हैं. 3 निर्दलीय जीते थे. 
- कल राज्यसभा चुनाव में 6 कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा कैंडिडेट को वोट किया था. साथ ही निर्दलीय भी भगवा दल के साथ गए. 
- बहुमत का आंकड़ा 35 है. अगर कांग्रेस के 6 विधायक भाजपाई हुए तो सुक्खू सरकार अल्पमत में आ जाएगी. 
- इसके लिए फिलहाल बजट पास कराना ही अग्निपरीक्षा की तरह है. अगर डिविजन का फैसला होता है यानी बजट को पास कराने के लिए सदन पक्ष और विपक्ष के वोट में बंटता है तो सुक्खू सरकार गिर सकती है. 
- इसकी वजह कांग्रेस के 6 बागी विधायक हैं जो फिलहाल उसकी पहुंच से बाहर और भाजपा शासित हरियाणा में बैठे बताए जा रहे हैं. 


एक टेंशन बीजेपी को भी है


जयराम ठाकुर ने आज सदन में समर्थन का आंकड़ा तो नहीं बताया, इतना जरूर कहा कि कांग्रेस मैंडेट खो चुकी है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार बहुत बड़े बहुमत में थी, उसके बाद भी राज्यसभा चुनाव हम जीते हैं. ऐसे में वर्तमान कांग्रेस की सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है. हमने राज्यपाल को ये सब जानकारी दे दी है.


क्या डिविजन ऑफ वोट्स होगा, इस सवाल पर ठाकुर ने कहा कि हमें आशंका है कि जिस प्रकार से विधानसभा अध्यक्ष का व्यवहार है, वह हमारे विधायकों को सस्पेंड कर सकते हैं ताकि आराम से बजट को पारित किया जा सके. इसके अलावा मुझे यह भी मालूम पड़ा है कि कांग्रेस के विधायकों को नोटिस दिए गए हैं जिन्होंने वोट (भाजपा के सपोर्ट में) दिया है. उन्हें आज दोपहर 1.30 बजे तक अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है. उनसे कहा गया है कि उनके खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए. उन्हें सस्पेंड करने की मंशा जाहिर की जा रही है. 


बीजेपी नेता ने कहा कि राज्यसभा में विप जारी नहीं होता है फिर भी कांग्रेस ने जारी किया. दूसरी बात राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग होती है तो इनवैलिड नहीं होता है. उसके लिए चुनाव आयोग ने स्पष्ट गाइडलाइंस दे रखी है. जब दलबदल कानून का कोई रोल ही नहीं है, फिर भी विधायकों को प्रताड़ित कर कार्रवाई करने की दिशा में वे आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार हमारी वजह से नहीं, अपने कारणों से संकट में है.


हिमाचल गवर्नर से बीजेपी की मांग


बीजेपी ने हिमाचल के गवर्नर से (BJP Demand Himachal Governor) आज मांग की कि सदन से बजट पारित कराने के लिए ध्वनि-मत नहीं बल्कि वोटिंग कराई जाए. अगर इसकी स्वीकृति दी जाती है तो यह साफ हो जाएगा कि कांग्रेस सरकार के पास बहुमत है या नहीं. अगर कांग्रेस सरकार बजट पारित नहीं करा पाती है तो अपने आप साबित हो जाएगा कि सदन में उसके पास बहुमत नहीं है. 


क्या है रूल


कोई भी सरकार जब बजट पारित कराने में विफल हो जाती है तो क्या होता है? हिमाचल प्रदेश में भाजपा की डिमांड देख यह सवाल लोगों के मन में उठ रहा है. दरअसल, ऐसी स्थिति पैदा होने पर मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ता है और सरकार गिर जाती है.