नई दिल्लीः कनाडा के लोकतंत्र का असली चरित्र सबके सामने आ गया है. कनाडा में हिन्दुओं के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है और हिन्दू मन्दिरों को नष्ट करने और उनमें लूटपाट की घटनाएं अचानक से काफी बढ़ गई हैं. वहां ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने राजधानी ऑटवा में प्रदर्शन कर रहे ट्रक ड्राइवरों को हिन्दू धर्म के स्वास्तिक चिन्ह से जोड़ दिया है.


ट्रक ड्राइवर्स के प्रदर्शन को देशविरोधी बता रहा कनाडा


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कनाडा में कोविड वैक्सीनेशन को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ जो ट्रक ड्राइवर्स प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके द्वारा लगातार नाजी विचारधारा वाले झंडे लहराए जा रहे हैं, जिन्हें फांसीवाद का प्रतीक माना जाता है.वर्ष 1933 में जब Adolf Hitler को जर्मनी के चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया था, तब इस झंडे को जर्मनी के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. और इसी वजह से कनाडा की सरकार, ट्रक ड्राइवर्स के विरोध प्रदर्शन को देशविरोधी बता रही है.


इसका हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नहीं..


अब इस नाजी विचारधारा वाले झंडे पर जो चिन्ह है, वो स्वास्तिक के आकार का ही होता है. लेकिन कनाडा के प्रधानमंत्री शायद ये बताना भूल गए कि ये चिन्ह स्वास्तिक जैसा तो है, लेकिन इसका हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नहीं है.


ट्रूडो के बयान से बढ़ी हिन्दुओं की मुश्किल


नाजी विचारधारा वाला चिन्ह थोड़ा टेढ़ा यानी Slanted है और इसे स्वास्तिक नहीं बल्कि Hakenkreuz (हाकनक्रुएज़) Symbol कहा जाता है, लेकिन जस्टिन ट्रूडो ने अपने एक बयान से कनाडा में रहने वाले हिन्दुओं को एक बहुत बड़ी मुश्किल में डाल दिया है.


10 दिनों से जारी है हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा


कनाडा में पिछले 10 दिनों में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. वहां पिछले कुछ समय में 6 हिन्दू मन्दिरों को नष्ट करके उन्हें लूटने की भी कोशिश की गई है. लेकिन विडम्बना देखिए कि आज कनाडा Democracy यानी आदर्श लोकतंत्र की सूची में 12वें स्थान पर है. जबकि भारत का लोकतंत्र दुनिया में 46वें स्थान पर है.


जस्टिन ट्रूडो के बदले बोल


ये एक बड़ा विरोधाभास है कि जब भारत में किसान आन्दोलन के दौरान खालिस्तान के झंडे लहराए गए थे, तब यही कनाडा ना सिर्फ़ इसका समर्थन कर रहा था. बल्कि वहां के सांसद, इसे लोकतांत्रिक मान रहे थे. जस्टिस ट्रूडो ने 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर भड़की हिंसा पर भी कुछ नहीं कहा था, जिसमें कुछ प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर एक विशेष धर्म का झंडा फहराया था. लेकिन अब जब उनके देश के प्रदर्शनकारी, नाजी विचाधारा के चिन्ह वाले झंडे लहरा रहे हैं तो वो ऐसे लोगों को देशविरोधी ताकतों के साथ मिला हुआ बता रहे हैं.