मुस्लिम शेखों के देश में क्यों बन रहा पहला हिंदू मंदिर?
यह मंदिर अबू धाबी से 30 मिनट की दूर पर हाईवे से सटे `अबू मुरेखा` नामक जगह पर बनेगा. इस मंदिर में शिव, कृष्ण और अयप्पा भगवान की मूर्तियां होंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के क्रम में जॉर्डन, फलस्तीन के बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंच चुके हैं. वह 2015 के बाद यूएई दूसरी बार गए हैं. यह दौरा इसलिए अहम है क्योंकि राजधानी अबू धाबी में वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पहले हिंदू मंदिर का भूमि पूजन करेंगे. उनके पिछले दौरे के दौरान यूएई सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए 55 हजार वर्ग मी जमीन देने का ऐलान किया था.
वजह
अबू धाबी में तकरीबन 30 लाख भारतीय रहते हैं. ये वहां की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है. वहां की अर्थव्यवस्था को संवारने में इस आबादी का बड़ा योगदान है. साधन-संपन्न इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद राजधानी अबू धाबी में कोई हिंदू मंदिर अभी तक नहीं है. इसकी तुलना में दुबई में दो मंदिर और एक गुरुद्वारा हैं. इसलिए अबू धाबी के स्थानीय हिंदुओं को पूजा या शादी जैसे समारोहों के लिए दुबई जाना पड़ता है. इसके लिए तकरीबन तीन घंटे लंबी यात्रा उनको तय करनी पड़ती है. इन दिक्कतों को देखते हुए यूएई सरकार ने इस मंदिर के लिए जमीन देने का निर्णय किया था.
खासियत
यह मंदिर अबू धाबी से 30 मिनट की दूर पर हाईवे से सटे 'अबू मुरेखा' नामक जगह पर बनेगा. इस मंदिर में शिव, कृष्ण और अयप्पा भगवान की मूर्तियां होंगी. अयप्पा को विष्णु भगवान का एक अवतार माना जाता है और केरल में इनकी पूजा होती है. इस मंदिर के निर्माण की मुहिम चलाने वाले अबू धाबी के जाने-माने भारतीय कारोबारी बीआर शेट्टी हैं. वो 'यूएई एक्सचेंज' नामक कंपनी के एमडी और सीईओ हैं.
इसके साथ ही इस मंदिर परिसर में एक खूबसूसरत बगीचा और मन को मोहने वाला वॉटर फ्रंट होगा. इस मंदिर परिसर में पर्यटक केंद्र, प्रार्थना सभा के लिए स्थान, प्रदर्शनी और बच्चों के खेलने की जगह, संबंधित विषयों से जुड़े बगीचे, वॉटर फ्रंट, फूड कोर्ट, किताब और गिफ्ट की दुकानें होंगी.
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भारतीय शिल्पकार करेंगे निर्माण
इस मंदिर का निर्माण भारतीय शिल्पकार कर रहे हैं. यह 2020 में पूरा होगा. बोचासनवासी श्री अक्षर पुरषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के प्रवक्ता ने बताया कि पश्चिम एशिया में पत्थरों से बना यह प्रथम हिंदू मंदिर होगा. ट्रस्ट के एक सदस्य ने खलीज टाइम्स को बताया कि यह दिल्ली में बने बीएपीएस मंदिर और न्यू जर्सी में बन रहे मंदिर की प्रतिकृति होगी.
इस मंदिर की संरचना, निर्माण और प्रबंधन करने वाली बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के एक प्रवक्ता ने कहा, 'मंदिर में इस्तेमाल होने वाले पत्थरों पर नक्काशी का काम भारत में शिल्पकार के जरिए किया जाएगा और फिर बाद में उसे यूएई में लाकर मंदिर को तैयार किया जाएगा. यूएई और भारत सरकार के द्वारा इस मंदिर के निर्माण से लेकर इसके प्रबंधन तक का काम दिए जाने पर बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था खुद को सम्मानित और कृतज्ञ महसूस कर रही है.'
भारत और यूएई
तीन वर्षों के भीतर दूसरी बार पीएम मोदी के यूएई जानें की खास वजहें हैं. इसका एक बड़ा कारण यह है कि यह चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. कच्चे तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में यह भारत का एक अहम सहयोगी है. यूएई की इकोनॉमी 800 अरब डॉलर की है. यहां रहने वाले प्रवासी भारतीय अभी भी अपनी भारतीय जड़ों से जुड़े हुए हैं. इस लिहाज से ये साधन-संपन्न लोग भारत में निवेश के इच्छुक हैं. इस कड़ी में भारत का बड़ा बाजार इनके लिए बेहद उपयोगी है.