नई दिल्ली: पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक के बाद कई सवाल खड़े होने लगे हैं. लोगों के मन में सवाल हैं कि जब पीएम ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम लोगों का क्या होगा? आपको बता दें कि पीएम मोदी फिरोजपुर में विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने के लिए पंजाब गए हुए थे. विरोध प्रदर्शनों के कारण पीएम मोदी फिरोजपुर में 15 से 20 मिनट तक एक फ्लाईओवर पर फंसे रहे. इसके बाद बठिंडा में उन्होंने एयरपोर्ट सिक्योरिटी से कहा, 'अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं जिंदा लौट पाया'. 


गृह मंत्रालय ने लगाए राज्य सरकार पर आरोप


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आपको बता दें कि पीएम के काफिले को सबसे अधिक सुरक्षित माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या होता है पीएम की सुरक्षा का प्रोटोकॉल. गृह मंत्रालय ने कहा कि पंजाब सरकार को पहले ही पीएम का कार्यक्रम बता दिया था. पंजाब सरकार को प्लान बी तैयार रखना चाहिए था. सड़क मार्ग पर अतिरिक्त सुरक्षा तैनात नहीं की गई. प्रक्रिया के अनुसार, सुरक्षा के साथ-साथ एक आकस्मिक योजना तैयार रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था करनी थी.


पीएम को सुरक्षा, SPG की जिम्मेदारी 


गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा किसी भी देश के अन्य प्रमुखों की तरह कड़ी होती है. भारत के प्रधानमंत्री को 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की होती है. प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, एसपीजी के सटीक निशानेबाजों को हर कदम पर तैनात किया जाता है. ये शूटर एक सेकेंड के अंदर आतंकियों को मार गिराने में सक्षम होते हैं. इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है. SPG के जवानों के पास MNF-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे आधुनिक हथियार होते हैं. 


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NSG के कमांडो से घिरे होते हैं प्रधानमंत्री


प्रधानमंत्री के काफिले में 2 बख्तरबंद BMW 7 सीरीज सेडान, 6 BMW X-5 और एक मर्सिडीज बेंज एंबुलेंस के साथ एक दर्जन से अधिक वाहन मौजूद होते हैं. इनके अलावा, एक टाटा सफारी जैमर भी काफिले के साथ चलता है. प्रधानमंत्री के काफिले के ठीक आगे और पीछे पुलिस के सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियां होती हैं. बाईं और दाईं ओर 2 और वाहन होते हैं और बीच में प्रधानमंत्री का बुलेटप्रूफ वाहन होता है.


हमलावरों को गुमराह करने के लिए काफिले में प्रधानमंत्री के वाहन के समान दो डमी कारें शामिल होती हैं. जैमर वाहन के ऊपर कई एंटेना होते हैं. ये एंटेना सड़क के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज करने में सक्षम हैं. इन सभी कारों पर NSG के सटीक निशानेबाजों का कब्जा होता है. इसका तात्पर्य यह है कि सुरक्षा के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के साथ लगभग 100 लोगों का एक दल होता है. 


पैदल भी साथ होती है यह सुरक्षा 


यह तो हुई गाड़ियों के काफिले की बात लेकिन इसके अलावा जब प्रधानमंत्री पैदल भी चलते हैं, तब भी वे वर्दी के साथ-साथ सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो से घिरे होते हैं. 


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पुलिस की भी होती है भूमिका


SPG के अलावा पुलिस भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती है. प्रधानमंत्री के स्थानीय कार्यक्रमों में एसपीजी के मुखिया खुद मौजूद रहते हैं. यदि किसी कारण से मुखिया अनुपस्थित रहता है, तो सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंधन उच्च पद के किसी अधिकारी द्वारा किया जाता है. जब प्रधानमंत्री अपने आवास से किसी सभा में शामिल होने के लिए बाहर निकलते हैं तो पूरे मार्ग का एक तरफ का यातायात 10 मिनट के लिए बंद कर दिया जाता है. इस बीच, राज्य की पुलिस के दो वाहन सायरन बजाकर मार्ग पर गश्त करते हैं. गश्त यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि जिस मार्ग से प्रधानमंत्री गुजरेंगे वह पूरी तरह से क्लियर हो. 


काफिले के आगे चलती है संबंधित राज्य की पुलिस  



पीएम के काफिले के आगे दिल्ली या संबंधित राज्य की पुलिस की गाड़ियां चलती हैं. जो रूट क्लीयर करती हैं. स्थानीय पुलिस ही SPG को रास्ते पर आगे बढ़ने की सूचना देती है. इसके बाद काफिला आगे चलता है. 


क्या है VIP रूट का प्रोटोकॉल


  • VIP के लिए हमेशा कम से कम दो रूट तय किए जाते हैं

  • किसी को रूट की पहले से जानकारी नहीं होती है

  • अंतिम समय में SPG रूट तय करती है

  • किसी भी समय SPG रूट बदल सकती है

  • SPG और स्टेट पुलिस में कॉर्डिनेशन रहता है

  • स्टेट पुलिस से रूट क्लियरेंस मांगी जाती है

  • पूरा रूट पहले से क्लियर किया जाता है


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