नई दिल्ली: 22 मार्च को पूरी दुनिया के साथ भारत भी विश्व जल दिवस (World Water Day) मना रहा है. पीने का साफ पानी देश के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है. दूषित पानी से देश की बड़ी आबादी जूझती रही है. ऐसे में जानें कि मोदी सरकार की महत्वकांक्षी जल जीवन मिशन (JJM) योजना धरातल पर कहां तक पहुंची है.   


कैसा है देश का पानी ? 


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नीति आयोग (NITI Aayog) के अनुसार देश में भूजल और सतह जल (Ground Water and Surface Water) दोनों ही अत्यधिक दूषित हैं. वॉटर क्वॉलिटी इंडेक्स (Water Quality Index) के मामले में भारत 122 देशों में 120वें नंबर पर आता है. देश का 70% जल दूषित हैं. इसमें बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरियाज के साथ भारी धातुएं भी मिली हुई हैं.  


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दूषित पानी की क्या कीमत चुकाता है भारत ? 


सरकारी आकंड़ों के अनुसार देश में 3 लाख बच्चे दूषित पानी से होने वाली बीमारियों (Diseases) से मर जाते हैं. अकेले डायरिया (Diarrhea) से 50% से ज्यादा मौतें होती हैं. इसी दूषित पानी के कारण हर साल करीब 3.70 करोड़ लोग बीमार पड़ते हैं. यही नहीं करीब 6.6 करोड़ लोग पानी में फ्लोराइड (Fluoride) की अधिकता से पीड़ित हैं. वहीं करीब 1 करोड़ लोग पीने के पानी में आर्सेनिक (Arsenic) से जूझ रहे हैं.  


वॉटर बोर्न डिजीजेज हैं खतरनाक


आर्थिक चोट की बात की जाए तो वॉटर बोर्न डिजीजेज (Water Borne Diseases) की वजह से 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 4,585 करोड़) का नुकसान होता है. पहले से ही चरमराई हुई देश की स्वास्थ्य सेवाओं (Health Services) पर भी इससे भारी बोझ पड़ता है. देश के करीब 2/3 अस्पताल सिर्फ वॉटर बोर्न डिजीजेज के रोगियों से भरे होते हैं.  


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योजना हर घर जल कितने घरों में पहुंची ? 


देश के करीब 70 करोड़ से ज्यादा लोग ग्रामीण भारत (Rural India) में रहते हैं. मगर देश के 90% भारतीयों को असुरक्षित सतही और भूमिगत जल पर निर्भर रहना पड़ता था. जल जीवन मिशन योजना (हर घर नल जल) की घोषणा पीएम मोदी (PM Modi) ने 15 अगस्त, 2019 को की गई थी. उस वक्त ग्रामीण भारत के कुल 19.32 करोड़ घरों में से 17% (3.23 Cr) घरों में ही नलों के द्वारा पानी पहुंच रहा था. वहीं तीन सालों से देश के 48% ग्रामीण घरों (9.25 Cr) में जल पहुंचाने का दावा किया गया है.  


जल शक्ति मंत्रालय का आंकड़ा


जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) के मुताबिक तीन राज्यों में शत प्रतिशत घरों में नल का पानी पहुंचा. देश के तीन राज्यों तेलंगाना, हरियाणा और गोआ के प्रत्येक ग्रामीण घर में पीने के पानी का कनेक्शन पहुंचाने का दावा किया गया है. पांच राज्यों में नल जल 80% से ज्यादा घरों में पहुंच चुका है. इसमें पंजाब (93.57%), गुजरात (93.94%), हिमाचल (92.81%) और बिहार (90.61%) के लगभग 90% ग्रामीण घरों में इस योजना की पहुंच का दावा किया जा रहा है. इसके अलावा सिक्किम में 83.65% ग्रामीण घरों में ये योजना पहुंची है.


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दक्षिणी भारत में तेलंगाना छाया, बाकी सुस्त 


देश के सबसे नए राज्य तेलंगाना ने इस योजना के आने से पहले ही ग्रामीण इलाकों के पेयजल योजना (Drinking Water Scheme) में भारी निवेश किया था. इसी का नतीजा है कि इस समय वो देश का एकमात्र बड़ा राज्य है जिसने शत प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंचाया है. बाकी देश के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश (55.67%), कर्नाटक (47.72%), तमिलनाडु (41.38%) और केरल (39.22%) में इस योजना के तहत घरों में पेयजल पहुंचा है.  


बड़े राज्यों में स्थिति अभी भी कमजोर 


आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश (13.42%) हर घर नल देने में फिसड्डी रहा है. अभी भी महज 13% घरों में नल का पानी (Tap Water) पहुंच पाया है. वहीं राजस्थान (23.17%) और पश्चिम बंगाल (21.01%) की स्थिति भी कमजोर है. यहां अभी भी 5 में से एक ग्रामीण घर में ही कनेक्शन पहुंच पाया है. बड़े राज्यों में महाराष्ट्र (69.75%) और मध्य प्रदेश (39.14%) में ग्रामीण आबादी को पीने का साफ पानी उपलब्ध होने का दावा किया जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ (20.13%) और झारखंड में (19.35%) साफ पानी की उपलब्धि का दावा है.



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