Kashmir Lok Sabha Elections: पुराने हुए वो दिन जब कश्मीर में चुनावों के दौरान पथराव, हड़ताल और बहिष्कार होता था.कश्मीर घाटी में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. पिछले तीन दशकों में पहली बार चुनाव प्रचार रैलियां उन इलाकों में हो रही हैं, जिन्हें कभी आतंकवादी और अलगाववादियों का गढ़ माना जाता था. 


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श्रीनगर के लाल चौक के घंटाघर से लेकर शहर के डाउनटाउन और दक्षिण कश्मीर के दूर-दराज के इलाकों में चुनाव प्रचार रैलियां हो रही हैं. ये वही इलाके हैं जो कभी पत्थरबाजी, बंद और आतंकवाद के लिए मशहूर थे और अलगाववादियों का गढ़ माने जाते थे. 


दिख रहा अलग नजारा


अब इन इलाकों में अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. इन इलाकों में बड़ी संख्या में चुनावी रैलियां और अभियान चल रहे हैं. इन चुनावी रैलियों में बड़ी संख्या में युवा और महिलाएं हिस्सा ले रही हैं. उनका कहना है कि चुनावी प्रक्रिया लोकतंत्र का रास्ता है और हमारा वोट एकमात्र रास्ता है जो हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचा सकता है. 


रैलियों में शामिल लोगों का कहना है कि वोट ही एकमात्र रास्ता है, चाहे हमें अपने विशेष दर्जे की लड़ाई लड़नी हो या नौकरी, विकास हो. वोट ही हमें यह सब दे सकता है. आश्चर्य की बात यह है कि इन रैलियों में महिलाएं बड़ी तादाद में हिस्सा लेती दिख रही है,जिनकी कश्मीर में पंजीकृत मतदाताओं में से आधी संख्या है. 


'अब जो होगा बातचीत से होगा'


आमिर अहमद ने कहा, 'पहले कोई हिस्सा नहीं लेता था. आप को पता है यहां क्या हो रहा था. लड़के पत्थरबाजी और ड्रग्स की ओर जा रहे थे. अब हम सब से कह रहे हैं कि राजनीति भी एक मंच है. हम वहां पर बात कर सकते हैं. जो भी होगा संसद में होगा. बातचीत से होगा.'


नयीमा कहती हैं, 'वोट ही एक जरिया है. वोट ही हमारी पावर है.' पिछले तीन दशकों से जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैला था, तब से यहां मतदान प्रतिशत बहुत कम रहता था, लेकिन इस बार अधिकारियों का मानना ​​है कि स्थिति 180 डिग्री बदल गई है. ऐसा लगता है कि चुनावी रैलियों में लोगों की भागीदारी को देखते हुए पिछले सभी मतदान प्रतिशत टूट जाएगा. 


इस बार बेहतर होगा मतदान प्रतिशत


जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी पी के पोल ने कहा, 'कश्मीर घाटी में चुनावी माहौल, प्रचार और लोगों की भागीदारी और रोड शो को बहुत बड़ी प्रतिक्रिया मिल रही है. पूरे क्षेत्र में सामान्य स्थिति का माहौल इस बात का संकेत है कि मतदान प्रतिशत 2019 के चुनावों के मतदान प्रतिशत से बहुत अधिक होगा. जम्मू क्षेत्र में हुए दो चरणों में भी लोगों की भारी भागीदारी देखी गई है क्योंकि उन्होंने पिछले रिकॉर्ड को भी पार कर लिया है. इस बार मतदान प्रतिशत बेहतर होने की बहुत संभावना है. 


उन्होंने कहा, जिन दो संसदीय सीटों पर चुनाव हुए, वे अच्छी रहीं. हमने उत्तरी कश्मीर में 50-60 प्रतिशत मतदान देखा है और हम उसी की उम्मीद कर रहे हैं. मध्य कश्मीर निश्चित रूप से 50 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर जाएगा और इसी तरह दक्षिण कश्मीर में भी अच्छा मतदान होगा. राजौरी-पुंछ में भी अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी.


राजनीतिक दलों का मानना ​​है कि चीजें बदल गई हैं और लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं. कुछ का कहना है कि 2019 से चीजें बदल गई हैं. लोगों को लगता है कि यह केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया है जो हमारी आकांक्षाओं को संसद तक ले जा सकती है.


नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा, '2019  के बाद यह पहला चुनाव है. लोग अपने एहसास वोट के जरिए बोलेंगे. पहले माहौल अलग था. आज माहौल अलग है. लोग दिल्ली को बोलना चाहते हैं कि जो 2019 में हुआ वो गलत था. जागरूकता बहुत जरूरी है, जो हमारे पहले दफा के वोटर हैं उनमें यह जागरूकता आई है कि वो वोट कितना ज़रूरी है. वोट से वो अपनी बात आगे कर सकते हैं.'


इससे पहले नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान पीडीपी उम्मीदवार वाहिद पारा ने लाल चौक के ऐतिहासिक घंटाघर पर बड़ा रोड शो किया था. नव गठित APNI पार्टी के नेता अल्ताफ बुखारी ने खानयार में दस्तगीर साहिब की दरगाह से श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके में नौहट्टा में ऐतिहासिक जामिया मस्जिद तक रोड शो किया. इस रैली में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए.


APNI पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा, 'लोग बहुत आशान्वित हैं और स्वतंत्र इच्छा से बाहर आ रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि यह जम्मू-कश्मीर में एक नए युग की शुरुआत है. अगर लोग इस बदलाव का समर्थन नहीं कर रहे होते, तो क्या आप श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके में प्रचार रैली करने आ पाते?


राजनीतिक दल शोपियां, पुलवामा और कुलगाम जैसे जिलों में भी रैलियां कर रहे हैं, जिन्हें कभी आतंकी संगठनों का गढ़ माना जाता था. हर दिन अलग-अलग राजनीतिक दलों के उम्मीदवार दक्षिण कश्मीर से लेकर मध्य कश्मीर और उत्तरी कश्मीर तक राजनीतिक रैलियां करते  दिख रहे हैं. सैकड़ों की संख्या में पार्टी समर्थक अपने उम्मीदवारों के लिए नारे लगाते हुए नजर आ रहे हैं. इस बार दशकों बाद पूरे देश की तरह कश्मीर में भी चुनावी रंग फैला हुआ दिख रहा है.