नई दिल्लीः भारत एक बहुदलीय प्रणाली वाला देश है. देश में आठ राष्ट्रीय दल, 50 से अधिक मान्यता प्राप्त राज्य दल हैं. इसके अलावा देश में कई गैर-मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल भी हैं. गैर-मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों को लेकर चुनावों से संबंधित अध्ययन और विश्लेषण करने वाले समूह ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने एक रिपोर्ट जारी की है. एडीआर के अनुसार 2010 से 2021 के बीच पंजीकृत गैर-मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या बढ़कर दोगुनी से अधिक हो गयी है. लोकसभा चुनाव के साल में यह अनुपातहीन रूप से बढ़ी है. 


किन दलों को कहते हैं गैर-मान्यताप्राप्त दल?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नये पंजीकृत राजनीतिक दलों या विधानसभा अथवा लोकसभा चुनावों में किसी राज्य की मान्यताप्राप्त पार्टी बनने के लिए आवश्यक पर्याप्त मत प्रतिशत प्राप्त नहीं करने वाले दलों को गैर-मान्यताप्राप्त दल माना जाता है. इनमें वो दल भी शामिल हैं जिन्होंने पंजीकरण के बाद कभी चुनाव नहीं लड़ा. एडीआर ने नयी रिपोर्ट में कहा कि 2010 में ऐसे दलों की संख्या 1,112 थी, जो 2019 में बढ़कर 2,301 हो गयी और 2021 में यह संख्या 2,858 पहुंच गयी.


लोकसभा चुनावों में बढ़ जाती है संख्या


रिपोर्ट के अनुसार, ‘इस बात पर गौर करना महत्वपूर्ण है कि विशेष रूप से लोकसभा चुनावों वाले वर्ष में इन पार्टियों की संख्या असमान रूप से बढ़ी. 2018 से 2019 के बीच इसमें 9.8 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ वहीं 2013 से 2014 के बीच यह वृद्धि 18 प्रतिशत थी.’ एडीआर ने कहा कि कुल 2,796 पंजीकृत गैर-मान्यताप्राप्त दलों में से 2019-20 के लिए केवल 230 या 8.23 प्रतिशत पंजीकृत गैर-मान्यताप्राप्त दलों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट तथा केवल 160 या 5.72 प्रतिशत की वार्षिक अनुदान रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.


5 चुनावी राज्यों में कितने गैर-मान्यताप्राप्त दल?


इस साल जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं उनसे संबंधित 889 पंजीकृत गैर-मान्यताप्राप्त दलों का विश्लेषण किया गया और उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा उत्तराखंड से संबंधित ऐसी केवल 90 या 10.12 प्रतिशत पार्टियों के लिए प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध हैं, वहीं मणिपुर तथा गोवा के लिहाज से 2019-20 के लिए गैर-मान्यताप्राप्त दलों के बारे में यह जानकारी उपलब्ध नहीं है. 



जानें इनके खर्च और आय का ब्योरा


उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के लिए जिन 90 गैर-मान्यताप्राप्त दलों की ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध हुईं, उन्होंने 2019-20 के लिए कुल 840.25 लाख रुपये की आय घोषित की, वहीं कुल व्यय 876.76 लाख रुपये व्यय घोषित किया गया. साल 2019-20 में इन गैर-मान्यताप्राप्त दलों ने अपनी कुल आय से 36.51 लाख रुपये अधिक खर्च किये थे. उत्तर प्रदेश की जन राज्य पार्टी ने 2019-20 के लिए सर्वाधिक आय घोषित की थी, जो 338.01 लाख रुपये थी, वहीं पार्टी का कुल खर्च 332.16 लाख रुपये था. उत्तर प्रदेश की ही अनारक्षित समाज पार्टी और अपना दल (सोनेलाल) ने इस अवधि में क्रमश: दूसरी सर्वाधिक आय (157.68 लाख रुपये) और तीसरी सर्वाधिक आय (76.05 लाख रुपये) घोषित की थी.


LIVE TV