Alcohol in Flight: फ्लाइट में यात्रियों को कितनी मात्रा में शराब परोसी जाए? इसको लेकर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने बड़ा अपडेट दिया है. डीजीसीए ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दाखिल कर बताया है कि इसका फैसला एयरलाइन कंपनी करती है. दरअसल, नवंबर-दिसंबर 2022 में एयर इंडिया की दो उड़ानों में नशे में धुत्त व्यक्तियों द्वारा कथित तौर पर पेशाब करने जैसी घटनाएं हुई थीं. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए 72 वर्षीय महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एसओपी के तत्काल गठन की मांग की थी. इसके बाद सवाल उठने लगा था कि यात्रियों को विमान के दौरान अधिकतम कितनी मात्रा में मादक पेय यानी शराब परोसी जाए, ताकि वे शांत रहें और इस तरह की हरकत ना करें.


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डीजीसीए ने क्या दी जानकारी


टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में महिला की याचिका का जवाब देते हुए डीजीसीए ने अपने हलफनामे में कहा कि सिविल 'अनियंत्रित यात्रियों से निपटने' के लिए एविएशन रिक्वायरमेंट्स (सीएआर) मौजूद हैं. विमान में परोसे जाने वाली शराब की सीमा पर डीजीसीए ने कहा कि सीएआर के खंड 4.3 के अनुसार, यह हर एयरलाइन का विवेक है कि वह एक नीति तैयार करे, ताकि यात्रियों को नशे में न छोड़ा जाए और उनके उपद्रव करने का खतरा बढ़ जाए.


महिला ने याचिका में क्या कहा?


अपनी याचिका में महिला ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह डीजीसीए को निर्देश दे कि वह फ्लाइट में अनियंत्रित/विघटनकारी व्यवहार से सख्ती से निपटने के लिए 'जीरो टॉलरेंस' एसओपी और नियम बनाए. इसके साथ ही सभी एयरलाइनों द्वारा इसे लागू किया जाए. इस पर सुनवाई के दौरान डीजीसीए ने हलफनामा दायर कर अपनी बात रखी.


महिला ने एयर इंडिया पर लगाए गंभीर आरोप


महिला ने एयर इंडिया पर यह आरोप लगाया कि क्रू मेंबर्स ने संवेदनशील मुद्दे को निपटाने में लापरवाही बरती. इस वजह से उनकी गरिमा को भारी नुकसान पहुंचा. महिला ने कहा कि पहले क्रू ने पहले आरोपी सह-यात्री को अत्यधिक हार्ड ड्रिंक परोसी और फिर विवाद होने के बाद उन पर आरोपी के साथ समझौता करने के लिए दबाव डाला. इसके अलावा पुलिस को घटना की सूचना देने के अपने कर्तव्य में भी विफल रहे. उन्होंने कहा कि डीजीसीए को विमान में 'नशे की लत' को अनियंत्रित या विघटनकारी व्यवहार के रूप में मानना चाहिए.