Justice DY Chandrachud on honor killing: चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि देश में सैकड़ों लोग ऑनर किलिंग के शिकार होते हैं. उन्हें सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है क्योंकि वो घरवालों के खिलाफ जाकर दूसरी जाति के लोगों को जीवनसाथी चुनते हैं. चीफ जस्टिस मुंबई में बॉम्बे बार एसोसिएशन की ओर से 'क़ानून और नैतिकता' विषय पर आयोजित अशोक देसाई मेमोरियल लेक्चर हॉल में बोल रहे थे.


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इस मौके पर उन्होंने एक लेख का हवाला दिया जिसमें 15 साल की लड़की की घरवालों द्वारा ऑनर किलिंग का जिक्र था. चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में गांववालों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. उनको अपना यह अपराध भी न्यायसंगत लग रहा था क्योंकि ऐसा करना उनके समाज की परंपराओं के मुताबिक सही था. पर क्या ऐसे दृष्टिकोण को किसी भी तरह से तर्कसंगत ठहराया जा सकता है? बहुत सारे लोगों को उनके प्यार के चलते या घरवालों की इच्छा के खिलाफ जाकर शादी करने के चलते मार दिया जाता है.


दबंग लोग नैतिकता की कसौटी तय करते हैं
चीफ जस्टिस ने कहा कि हर एक शख्स के लिए नैतिकता की कसौटी अलग अलग होती है. अक्सर समाज के वंचित तबके के लिये ये कसौटी प्रभावशाली तबका तय करता है. समाज के कमजोर/वंचित तबके के लोगों को दबंग लोगों के सामने झुकना पड़ता है. वो चाहकर भी अपनी मर्जी नहीं कर पाते.


समलैंगिकता और एडल्ट्री को लेकर फैसले
इस मौके पर चीफ जस्टिस ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने वाले और वैवाहिक रिश्तों में एडल्ट्री के लिए लगने वाली धारा 497 को रद्द किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारा संविधान दैनिक जीवन में हमारा मार्गदर्शन करता है. ये हमारे मौलिक अधिकारों का सबसे बड़ा ध्वजवाहक है. संवैधानिक नैतिकता जनता में प्रचलित नैतिकता की अवधारणा से व्यक्ति विशेष के हितों की रक्षा करती है.


कोर्ट के लिए हर केस अहम
चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट हो या हाई कोर्ट, इन सबके लिए इनके सामने सुनवाई पर लगने वाला हर केस अहम है. कोर्ट अपनी तरफ से केस में कोई अंतर नहीं करता है. इसी वजह से लोग अपने व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के लिए अदालतों पर यकीन करते हैं.


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