Nirmala Sitharaman in Parliament: भाषा के स्तर पर हिंदी और तमिल की लड़ाई बेहद पुरानी है. ये लड़ाई कितनी खतरनाक है, इसकी एक झलक आज लोकसभा में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिखाई. हिंदी भाषा में हाथ तंग होने के कुछ उदाहरण देते हुए उन्होंने बेहद साफगोई से सदन में बताया कि वे जिस राज्य से आती हैं, वहां हिंदी भाषा को पढ़ना गुनाह माना जाता है. 


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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वे बचपन में तमिलनाडु में हिंदी सीखने पर उनका मजाक उड़ाया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिल समेत सभी स्थानीय भाषाओं का सम्मान बढ़ाया है. लोकसभा में बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण सपा के सदस्य राजीव रॉय द्वारा उन्हें लिखे गए एक पत्र का जिक्र करते हुए हिंदी में कुछ कह रही थीं. 


सीतारमण ने हिंदी के एक शब्द पर अटकने पर कहा कि मेरी हिंदी भाषा इतनी अच्छी नहीं है. मैं बोलचाल की भाषा में महज कुछ शब्द ही बोल पाती हूं. हिंदी की इतनी शब्दावली जरूर समझती हूं कि क्या अपशब्द है और क्या नहीं. मूल रूप से तमिलनाडु से संबंध रखने वाली सीतारमण ने कहा कि मैं एक ऐसे राज्य से आती हूं, जहां हिंदी पढ़ना गुनाह है, इसलिए मुझे बचपन से हिंदी पढ़ने से रोका गया. जब तमिलनाडु के कुछ द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कषगम) सदस्यों ने सीतारमण की टिप्पणी का विरोध किया तो उन्होंने कहा कि जब मैं कहती हूं कि (तमिलनाडु में) माहौल हिंदी सीखने के अनुकूल नहीं था तो यह मैं तमिलनाडु में अपने निजी अनुभव से कहती हूं. मेरा अपना अनुभव है कि स्कूल से अलग जब मैंने हिंदी सीखी तो सड़कों पर मेरा मजाक उड़ाया गया. यह मेरा अपना अनुभव है. 


उन्होंने द्रमुक सांसदों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वे हिंदी को थोपने के खिलाफ हैं, मैं उसका समर्थन करती हूं. किसी पर कुछ भी नहीं थोपा जाना चाहिए. सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की बात करते हैं और सभी राज्यों को उनकी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी उच्च शिक्षा भी स्थानीय भाषाओं में दी जानी चाहिए. इसलिए मुझे कहते हुए बेहद खुशी हो रही है कि आज तमिलनाडु में भी मेडिकल शिक्षा तमिल में प्राप्त की जा सकती है. 


सीतारमण ने कहा कि मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो तमिल भाषा को संयुक्त राष्ट्र में ले गए, वह बार-बार अपने भाषणों में तमिल कवियों के उद्धरण का उल्लेख करते हैं क्योंकि वह उस भाषा का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि द्रमुक के गठबंधन सहयोगी दलों से बने एक प्रधानमंत्री का नाम बताएं जिन्होंने तमिल कवियों को उद्धृत किया? हमारे प्रधानमंत्री ने ऐसा किया. (एजेंसी इनपुट के साथ)