नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना अपने लड़ाकू विमानों को और अधिक शक्तिशाली बनाने की कोशिश के तौर पर सुखोई-30 एमकेआई को इजराइल की स्पाइस-2000 लेजर निर्देशित बमों से लैस करने की प्रक्रिया में है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. अभी भारतीय वायु सेना के मिराज-2000 विमान स्पाइस-2000 बमों से लैस हैं और इन विमानों का हाल ही में पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बड़े आतंकी शिविर पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया गया था.


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आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘भारतीय वायु सेना अपने लड़ाकू विमानों को और शक्तिशाली बनाने के लिए सुखोई-30एमकेआई को इजराइल के स्पाइस-2000 बमों से लैस करने की प्रक्रिया में है.’ यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद सामने आया है. 


भारत के लिए इस मिसाइल परीक्षण के मायने
1. ब्रह्मोस और सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान के संयोजन का मतलब है कि भारतीय वायु सेना अब चंद मिनट में अपने टारगेट को ध्वस्त कर देगी. रफ्तार के मामले में अमेरिकी सेना की टॉमहॉक मिसाइल से चार गुना तेज है. 
2. यह मिसाइल मेनुवरेबल तकनीक से लैस है. अगर लक्ष्य का रास्ता बदला तो मिसाइल भी रास्ता बदल लेगी.  
3. यह हवा से लक्ष्य भेदने का मिसाइल का पहला परीक्षण था. विश्व का सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अब जमीन, समुद्र और हवा से मार करने में सक्षम है 
4. 42 सुखोई विमानों में मिसाइल लगाई जाएगी. भारत सुखोई एसयू-30 में ब्रह्मोस मिसाइल लोड करके दुनिया के किसी भी भूभाग पर हमला कर सकता है.
5. सुखोई एक बार में 3000 किमी तक जा स्कता है. उसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है. नौसेना के कई जंगी जहाजों को ब्रह्मोस से लैस किया जा रहा है. 


बता दें कि सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई और भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है.