नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को मनाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. किसानों से कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है. ऐसे में गतिरोध के लंबा खिंचने की आशंका है. इस बीच, हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका (Ashok Khemka) ने विवाद के हल के लिए एक उपाय सुझाया है. हालांकि, उनके उपाय पर अभी तक किसानों या उनके किसी संगठन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. 


ये है संभावित समाधान


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अशोक खेमका (Ashok Khemka) ने इस संबंध में एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, ‘किसान आंदोलन (Farmers Protest) का एक संभावित समाधान: - केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ सभी राज्यों के बीच बराबर बंटवारा किया जा सकता है. बाकी का बोझ राज्य सरकारों को वहन करना चाहिए. राज्यों को अपनी जरूरत और क्षमता के अनुसार किसानों को विभिन्न फसलों पर MSP की गारंटी देनी चाहिए. MSP का विकेंद्रीकरण ही बेहतर है’.



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Government नरम, लेकिन किसान अड़े
किसान पिछले कई दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल, सरकार ने जिन कृषि कानूनों को पारित किया है, उनको लेकर किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP खत्म हो जाएगी. हालांकि सरकार किसानों को MSP पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है. इसके अलावा, किसानों ने कांट्रैक्ट फार्मिंग सहित कई प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि उनकी सभी आपत्तियों पर विचार किया जाएगा और केंद्र ने यह भरोसा भी दिया है कि मंडियों को खत्म नहीं किया जाएगा. इसके बावजूद किसान कृषि कानूनों को पूरी तरह खत्म करने की मांग पर अड़े हैं.



पहले भी की थी आंदोलन पर टिप्पणी


IAS अधिकारी खेमका ने इससे पहले 5 दिसंबर को भी एक ट्वीट कर किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि कृषि कानूनों के अलावा किसान आंदोलन कॉर्पोरेट के प्रति उनके अविश्वास को भी दर्शाता है. हमारे देश में प्रति व्यक्ति के हिसाब से बैंकों का NPA दुनिया में सबसे ज्यादा स्तर पर होगा. गौरतलब है कि खेमका अपनी बेवाकी के लिए पहचाने जाते हैं.


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