चाय की दुकान पर काम करने वाला लड़का ऐसे बना IAS, कभी स्कूल जाने के लिए करता था 70 KM सफर
IAS Officer Himanshu Gupta Success Story: उत्तराखंड के रहने वाले हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने पिता का हाथ बंटाने के लिए चाय की दुकान पर काम तक किया, हालांकि कड़ी मेहनत से उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईएएस अफसर (IAS Officer) बन गए.
नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस एग्जाम (UPSC Civil Service Exam) को सबसे कठीन परीक्षाओं में से एक माना जाता है और इसे पास करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. कई बार छोटी जगहों के स्टूडेंट आईएएस बनने का सपना देखते हैं, लेकिन उनके लिए यह इतना आसान नहीं होता और उन्हें अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं. ऐसी ही कहानी उत्तराखंड के रहने वाले हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) की है, जिन्होंने पिता का हाथ बंटाने के लिए चाय की दुकान पर काम तक किया, लेकिन कड़ी मेहनत से उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईएएस अफसर (IAS Officer) बन गए.
ग्रेजुएशन के दौरान बाद देखा यूपीएससी का सपना
उत्तराखंड के उधम सिंह जिले के सितारगंज में जन्मे हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) बचपन से पढ़ाई में काफी अच्छे थे और 12वीं के बाद जब वह ग्रेजुएशन कर रहे थे तब उन्होंने यूपीएससी की सिविल सर्विस एग्जाम (UPSC Civil Service Exam) में शामिल होने के बारे में सोचा था.
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गरीबी में बीता हिमांशु गुप्ता का बचपन
हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) का बचपन आम बच्चों से काफी अलग था, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और उन्होंने अपना बचपन बेहद गरीबी में काटा. हिमांशु के पिता पहले दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे, लेकिन इससे मुश्किल से परिवार को गुजारा हो पाता था.
स्कूल के बाद चाय की दुकान पर काम
हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) के पिता ने बाद में चाय का ठेला लगाना शुरू किया और हिमांशु भी स्कूल के बाद इस काम में अपने पिता की मदद करते थे. द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हिमांशु बताते हैं, 'मैंने कई मौकों पर चाय के दुकान पर काम भी किया है और पिता की मदद की.'
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बरेली शिफ्ट हो गया परिवार
हिमांशु कहते हैं, 'मैंने अपने पिता को ज्यादा नहीं देखा, क्योंकि वह अलग-अलग जगहों पर नौकरी खोजने की कोशिश कर रहे थे. यह हमारे लिए आर्थिक रूप से बहुत कठिन था और यह भी एक कारण था कि मेरा परिवार बरेली के शिवपुरी चला गया, जहां मेरे नाना-नानी रहते थे. मुझे वहां के स्थानीय सरकारी स्कूल में दाखिला मिल गया.' 2006 में हिमांशु का परिवार बरेली जिले के सिरौली चला गया, जहां उनके पिता ने अपना जनरल स्टोर खोला. हिमांशु कहते हैं, 'आज तक मेरे पिता उसी दुकान को चलाते हैं.'
स्कूल जाने के लिए 70 किलोमीटर सफर
बरेली के सिरौली जाने के बाद भी हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) की मुश्किलें कम नहीं हुईं, क्योंकि यहां स्कूल जाने के लिए उनको रोजाना 70 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी. हिमांशु कहते हैं, 'निकटतम इंग्लिश मीडियम स्कूल 35 किमी दूर था और वह हर दिन 70 किमी की यात्रा करते थे.
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12वीं के बाद पहुंचे डीयू में लिया एडमिशन
12वीं के बाद हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने दिल्ली के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया और यह पहला मौका था जब उन्होंने किसी मेट्रो सिटी में कदम रखा था. पिता की आर्थिक स्थिति को देखते हुए हिमांशु ने दिल्ली में पैसों की समस्या हल करने के लिए पढ़ाई के साथ ही बहुत से काम किए. उन्होंने ट्यूशन पढ़ाए, पेड ब्लॉग्स लिखे और कई स्कॉलरशिप हासिल की. ग्रेजुएशन के बाद हिमांशु ने डीयू से पर्यावरण विज्ञान में मास्टर डिग्री के लिए दाखिला लिया और कॉलेज में टॉप किया. इसके बाद हिमांशु के पास विदेश जाकर पीएचडी करने का मौका था, लेकिन उन्होंने देश में रहने का फैसला किया.
तीन बार पास की यूपीएससी परीक्षा
हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने साल 2016 में भारत में रहने और यूपीएससी की ओर रुख करने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत की और साल 2018 में पहली बार यूपीएससी एग्जाम दिया और पास हो गए, लेकिन उनका चयन भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के लिए हुए. इसके बाद भी उन्होंने तैयारी जारी रखी और 2019 में फिर से परीक्षा दी. दूसरे प्रयास में हिमांशु का चयन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए हुआ. 2020 में अपने तीसरे प्रयास में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हो गए.
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