IIM Rohtak-Tajik University Conference: सांसद डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया, युवाओं के मन में कैसे पनपती है कट्टरता
IIM Rohtak-Tajik University Conference: 2 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन राज्य सभा सदस्य और एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन डॉ सुभाष चंद्रा ने डी-रेडिकलाइजेशन और शांति पर अपने विचार साझा किए.
रोहतक: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) रोहतक और ताजिकिस्तान की ताजिक नेशनल यूनिवर्सिटी (Tajik National University) की ओर से शुक्रवार को 'फ्रेमवर्क ऑफ एंगेजमेंट: अफगानिस्तान इन फोकस ऑफ सेंट्रल एंड साउथ एशियन नेशंस' पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ.
युवाओं को दी बड़ी सीख
सम्मेलन के पहले दिन राज्य सभा सदस्य और एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन डॉ सुभाष चंद्रा ने डी-रेडिकलाइजेशन और शांति पर बात करते हुए युवा दिमाग के कट्टरपंथ पर अपने विचार साझा किए. डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया कि कैसे कट्टरता शुरू होती है और कैसे युवा मन की दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक कंडीशनिंग होती है.
एस्सेल समूह के चेयरमैन ने बताया कि कैसे कट्टरपंथ युवाओं को हथियार उठाने और हिंसा में शामिल होने के लिए बदलने की दिशा में उठता कदम है. डॉ. चंद्रा ने कहा कि ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति को सुनकर उन्हें भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी की याद आ गई.
डॉ. सुभाष चंद्रा के अलावा कॉन्फ्रेंस में मौजूद सांसद और पूर्व विदेश मंत्री एमजे अकबर ने भी अपने विचार बिंदु रखे.
मैंने अफगानिस्तान की महिलाओं को पिछड़े वर्ग से मुख्यधारा में आते देखा है.
अमेरिका और नाटो बलों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया और अब यूक्रेन और काबुल के बीच अंतर करने की जरूरत है. राष्ट्रपति रहमान को ताजिकिस्तान में स्वतंत्रता के पिता के रूप में जाना जाता है, लेकिन वे राज्य में सुरक्षा के संरक्षक भी रहे हैं.
हम 9/11 के बारे में सोचते हैं. यह एक टावर पर हमले के साथ शुरू हुआ था. यह तब शुरू हुआ, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. मेनजसर भुट्टो ने कहा तालिबान मेरा बच्चा है. पहला विश्व युद्ध दूसरे विश्व युद्ध का कारण था. दूसरा विश्व युद्ध शीत युद्ध के रूप में उभरा और शीत युद्ध ने आतंकवाद को जन्म दिया. प्रथम विश्व युद्ध की समस्या का समाधान उसी समय होना चाहिए. हम पिछले अनसुलझे मुद्दों के कारण तकलीफों का सामना कर रहे हैं.
स्वतंत्रता विलासिता नहीं एक जिम्मेदारी है. अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद दुनिया को संदेश गया कि अमेरिका किसी के साथ खड़े होने को तैयार नहीं है और फिर यूक्रेन का मामला शुरू हो गया. नाटो और अमेरिका भी उनके लिए खड़े नहीं होंगे. अब यह पक्का संदेश है.
यूक्रेन और अफगानिस्तान के लिए भी स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है. देखिए, 1985 में जब मैं यहां पहली बार आया था तब दुशांबे एक गांव था लेकिन अब यह एक विकसित देश का विकसित शहर है, आजादी का असर देखिए. भविष्य में जापान और जर्मनी नेतृत्व करेंगे. दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी का सैन्यीकरण किया गया, लेकिन आज जर्मनी और जापान दोनों उदार लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं. जर्मनी एकमात्र देश है जहां यूक्रेन मुद्दे के दौरान शेयर पुरस्कारों में वृद्धि हुई है.
नई विश्व व्यवस्था सभी राष्ट्रों के प्रति समानता की मांग करने वाली है. भारत और ताजिकिस्तान दुनिया को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाने में सहयोग कर सकते हैं.
भारत में आज शक्ति संतुलन है. हमें केवल शक्ति संतुलन ही नहीं, संतुलन की जरूरत है. हर क्षेत्र में संतुलन.
अफगानिस्तान में सूर्यास्त शुरू हो गया है, लेकिन कहानी खत्म नहीं हुई है. आप फिर से अफगानिस्तान का उज्ज्वल भविष्य देखेंगे.
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