नई दिल्ली: देश में इस साल मानसून के दौरान बारिश (जून से सितंबर) 'लगभग सामान्य' रहने की संभावना है. भारत मौसम विभाग ने दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा कि मानूसनी वर्षा दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के 96 फीसदी रहने की संभावना है. इसका मतलब मानसून के दौरान पूरे देश में वर्षा होने की संभावना है जो खरीफ के सीजन के दौरान किसानों के लिए लाभदायक होगी. मानसून के दौरान देश मे होने वाली वर्षा का औसत 89 सेंटीमीटर है. 


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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने ज़ी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि इस बार मानसून तो सामान्य रहेगा लेकिन तापमान ज़्यादा रहेगा. खासकर जून-जुलाई के महीने के एल-नीनो के प्रभाव की वजह से ज़्यादा गर्मी का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, धीरे-धीरे एल नीनो का असर कम होगा. पिछले साल भी देश के अलग-अलग हिस्सो में सामान्य से ज़्यादा तापमान रिकॉर्ड किये गए थे.  


आईएमडी ने एलपीए के 96-104 फीसद के बीच की वर्षा के लिए ‘सामान्य के करीब’ की एक श्रेणी शुरू की है. पिछले साल के उसके पूर्वानुमान में 96-104 फीसद के बीच की वर्षा को 'सामान्य' श्रेणी में रखा गया था. एलपीए 1951 और 2000 के बीच की बारिश का औसत है जो 89 सेंटीमीटर है. एलपीए के 90-96 प्रतिशत के बीच की वर्षा 'सामान्य से कम' की श्रेणी में आती है. 96 फीसद वर्षा को सामान्य से कम और सामान्य की श्रेणी की सीमा पर माना जाता है.