जम्मू-कश्मीर का CM बनते ही एक्शन में उमर अब्दुल्ला, पहली कैबिनेट मीटिंग में ही राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित
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जम्मू-कश्मीर का CM बनते ही एक्शन में उमर अब्दुल्ला, पहली कैबिनेट मीटिंग में ही राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित

Omar Abdullah On J&K Statehood: जम्मू-कश्मीर के सीएम बनते ही उमर अब्दुला एक्‍शन में आ गए हैं. चुनावी वादे को ध्यान में रखते हुए, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल ने राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया है. जानें पूरा मामला.

जम्मू-कश्मीर का CM बनते ही एक्शन में उमर अब्दुल्ला, पहली कैबिनेट मीटिंग में ही राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित

सैयद खालिद हुसैन/जम्मू-कश्मीर: मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर यूटी कैबिनेट की पहली बैठक में केंद्र से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया. सरकारी सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर यूटी को राज्य का दर्जा जल्द बहाल करने का आग्रह करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया. अगर प्रस्ताव का मसौदा तैयार हो जाता है तो संभावना है कि उमर अब्दुल्ला खुद नई दिल्ली जाएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रस्ताव सौंपेंगे, जिसमें उनसे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया जाएगा,"

राज्य का दर्जा बहाल करना पार्टियों का एजेंडा
इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस की चुनाव पूर्व सहयोगी कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल होने तक सरकार का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था. राज्य का दर्जा बहाल करना और अनुच्छेद 370 को हटाना हाल के चुनावों में भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों का मुख्य एजेंडा रहा.

कोर्ट में जाएंगी जम्मू-कश्मीर सरकार
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कल श्रीनगर के बाजारों के दौरे के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए दोनों बातों पर बात की. उन्होंने कहा, "हमने पहले भी राज्य के दर्जे के बारे में बात की है और आज भी सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के भीतर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है. मुझे यकीन है कि भारत सरकार जल्द ही इसे बहाल करेगी. " यह पूछे जाने पर कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 का मुद्दा उठाएगी या विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करेगी, अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें अपनी दलीलें पेश करने के लिए अदालत में वापस जाना होगा.

जानें किसे क्या मिला प्रभार?
इस बीच जम्मू-कश्मीर के नवनिर्वाचित मंत्रियों को भी विभाग आवंटित किए गए. एलजी द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जो कहता है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार के कामकाज के नियम, 2019, 1 के नियम 4 (2) के अनुसरण में, उपराज्यपाल ने मंत्रियों को प्रभार सौंपा है.

  •  सुरिंदर कुमार चौधरी (उपमुख्यमंत्री) लोक निर्माण (आरएंडबी), उद्योग और वाणिज्य, खनन, श्रम और रोजगार तथा कौशल विकास विभाग संभालेंगे. 
  • सकीना इटू स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा और समाज कल्याण का प्रभार संभालेंगी.
  • जावेद अहमद राणा जल शक्ति, वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण और जनजातीय मामले.
  • जावेद अहमद डार कृषि उत्पादन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, सहकारिता और चुनाव," आदेश में कहा गया है,
  • सतीश शर्मा खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, परिवहन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, युवा सेवाएं एवं खेल तथा एआरआई एवं प्रशिक्षण का प्रभार संभालेंगे."
  • आदेश में कहा गया है कि कोई अन्य विभाग/विषय जो किसी भी मंत्री को आवंटित नहीं किया गया है.

पूर्ण राज्य से केंद्र शासित राज्य बना है जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर पहले पूर्ण राज्य था, लेकिन 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद इसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया.
लद्दाख में विधानसभा नहीं है और जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा है.
संविधान के अनुच्छेद 239 में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा, जो प्रशासक के रूप में कार्य करेगा.
इससे जम्मू-कश्मीर की नई सरकार के लिए सबसे बड़ा बदलाव केंद्र शासित प्रदेश की तरह सरकार चलाने का होगा.

 

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