Inspiring Story: समय बदल रहा है, रूढ़ीवादी प्रथाओं के खत्म होने के साथ नई और सकारात्मक परंपराएं शुरू हो रही हैं, महिलाएं हर बंधन को तोड़कर हर फील्ड में, हर काम में अपनी भागीदारी दे रहीं हैं और साबित कर रही हैं कि वो पुरुषों से कम नहीं हैं. महिलाएं भी अब वो हर काम कर सकती हैं जिन पर अभी तक पुरुषों का वर्चस्व रहा है. ऐसा ही एक मामला गुजरात के सूरत शहर से आया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां शनिवार को 38 साल की एक महिला ने पारंपरिक प्रथाओं को तोड़ते हुए अपनी सास को मुखाग्नी देकर उनका दाह संस्कार किया. 


गुजरात के सूरत शहर की घटना


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रिपोर्ट के मुताबिक, सूरत के एलपी सवानी ग्रुप ऑफ स्कूल्स के फाउंडर मावजी सवानी की पत्नी वसंतबेन की शनिवार को मौत हो गई. वह 67 साल की थीं. वह लीवर की समस्या से जूझ रहीं थीं. उनकी मौत के बाद शनिवार को पूरा परिवार दाह संस्कार के लिए उमरा श्मशान घाट पहुंचा. इस दौरान जिस बात ने सबका ध्यान खींचा वो ये थी कि दाह संस्कार के लिए घर की सभी महिलाएं भी श्मशान घाट पहुंचीं थीं. वसंतबेन की बेटी भावना ने बहू पूर्वी के साथ मिलकर विद्युत शवगृह में दाह संस्कार की सभी विधि पूरी की. चिता को आग बहू पूर्वी ने ही दी.


क्या कहा बहू ने


टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में पूर्वी ने बताया कि, मैं कई साल से अपनी सास की मां की तरह सेवा कर रही थी. मैं उनके अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहती थी. वहीं वसंतबेन के बेटे और पूर्वी के पति धर्मेंद्र सवानी ने बताया कि, 'मेरी पत्नी की इच्छा थी कि वह मेरी मां के अंतिम संस्कार में शामिल हो. वह कई महीनों से उनकी सेवा कर रही थी. हम सबने सहमति से ये तय किया कि पूर्वी ही मां को आग दे. यह पूर्वी का अधिकार था और परिवार के सभी सदस्य उसे यह अधिकार देने में सहमत थे.'