Raghav Chadha: सुप्रीम कोर्ट ने आप सांसद  राघव चड्डा को राज्यसभा से अनिश्चितकाल तक निलंबित किये जाने पर सवाल खड़े किए हैं. कोर्ट ने कहा कि राघव चड्डा पर आरोप है कि उन्होंने सांसदों की  सहमति के बिना उनका नाम सेलेक्ट कमिटी के लिए प्रस्तावित किया. लेकिन क्या ये आरोप इतना बड़ा है कि किसी सांसद को अनिश्चित काल तक निलंबित कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि राघव चड्डा सदन में विपक्ष की आवाज की नुमाइंदगी करते हैं. सदन में विपक्ष की आवाज का प्रतिनिधित्व बना रहना जरूरी है. इस तरह का निलंबन चिंता का विषय है. इसका असर उन लोगों पर भी पड़ता है, जिनकी सीट सदन में  बिना प्रतिनिधित्व के रह जाती है.


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राघव चड्डा की SC में  याचिका


राघव चड्डा ने राज्यसभा से निलंबन को सुप्रीम कोर्ट में  चुनौती दी है. उनका केस अभी विशेषाधिकार कमिटी के पास पेंडिंग है. अगस्त में  राघव चड्ढा निलंबित हुए थे. 5 सांसदों की सहमति के बिना उनका नाम सेलेक्ट कमिटी के लिए प्रस्तावित करने के आरोप में उन्हें निलंबित किया गया था. राज्यसभा चेयरपर्सन ने सदन की ओर से प्रस्ताव पास होने के बाद  इस बारे में विशेषाधिकार कमिटी की ओर से कोई फैसला होने तक उन्हें  निलंबित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में राघव चड्डा ने कहा है कि उनका निलंबन राज्यसभा में प्रकिया और कार्य संचालन के नियमों का उल्लंघन है और संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मिले मूल अधिकारों का हनन है. नियमों के मुताबिक किसी सांसद को एक सत्र से ज्यादा समय के लिए निलंबित नहीं किया जा सकता.


SC का सवाल


सोमवार को सुनवाई  के दौरान कोर्ट ने  सवाल किया कि  राघव चड्डा ने जो किया है, क्या वो विशेषाधिकार हनन की केटेगरी में आता है? और क्या ऐसी सूरत में उनको  अनिश्चित काल तक निलंबित किये जाने का कोई औचित्य बनता है? चीफ जस्टिस ने कहा कि कोई  सांसद अगर सदन की कार्यवाही को बाधित करता है तो उसे उसी सत्र के लिए निलंबित किया जाता है. लेकिन इस केस में सांसदों की सहमति के बिना उनका नाम प्रस्तावित करने के चलते  ही राघव चड्ढा को अनिश्चित काल तक निलंबित कर दिया गया, क्या ये वाजिब है?


राघव चड्ढा माफी मांगने को तैयार


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि क्या राघव चड्ढा माफी मांगने के लिए तैयार हैं और क्या राज्यसभा चेयरपर्सन इस माफी को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. इस पर राघव चड्डा की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि वो सदन का सम्मान करते हैं. वो पहले भी इसके लिए माफी मांग चुके हैं और आगे भी  तैयार हैं. लेकिन जो प्रकिया यहां अपनाई गई है, वो संविधान और कानून का उल्लंघन है. अगर इसे सही ठहराया जाता है तो भविष्य में भी सत्तारूढ़ पार्टियों के लिए गलत नजीर पेश करेगा.


अटॉर्नी जनरल की राय


कोर्ट ने इस मसले पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन से भी उनकी राय पूछी थी. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि  मामला सदन की कार्यवाही से जुड़ा हुआ है. कोर्ट का इस पर सुनवाई का कोई  क्षेत्राधिकार नहीं बनता. राघव चड्ढा की ओर से माफी की पेशकश पर उन्होंने कहा  राघव चड्ढा के निलंबन का प्रस्ताव सदन ने पास किया था. सभापति ने इसको मंजूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने राघव चड्डा और अटॉर्नी जनरल से कहा है कि वो अपनी लिखित दलीलों को लेकर संक्षिप्त नोट जमा कराएं. कोर्ट शुक्रवार को आगे इस पर विस्तार से सुनवाई करेगा.