Jammu Kashmir Srinagar: भारत अपने स्वतंत्रता दिवस की 77वीं वर्षगांठ (India's 77th Independence Day) मना रहा है. इस बेहद खास मौके पर उत्तरी कश्मीर (North Kashmir) के समीपवर्ती इलाके में नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. दरअसल सुरक्षा बलों को इनपुट है कि आतंकवादी जम्मू कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर शांति भंग करने के लिए सीमा पार से घुसपैठ करने की कोशिश कर सकते हैं. पिछले एक महीने में नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बलों ने करीब एक दर्जन घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया है. घुसपैठ की इन कोशिशों के दौरान आधा दर्जन आतंकी मारे गए हैं. 


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नियंत्रण रेखा घने जंगल से ढ़की


उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा (Kupwara) जिले में पूरी नियंत्रण रेखा घने जंगल से ढकी हुई है. जिससे आतंकवादी समूहों को कश्मीर क्षेत्र में घुसपैठ करने का मौका मिलता है. कुपवाड़ा जिले में सीमा पार से आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के प्रयासों की संख्या सबसे अधिक देखी जाती है.


24*7 कड़ी निगरानी


उत्तरी कश्मीर में अग्रिम चौकियों में से एक चौकी पर तैनात सीमा सुरक्षा बल दिन रात सीमाओं की निगरानी करते हुए यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि घुसपैठ की कोई भी कोशिश कामयाब न हो सके. नियंत्रण रेखा के ऊंचे इलाकों की रक्षा के लिए तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) अपने सैनिकों को न केवल पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाने के लिए बल्कि हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं को चुस्त बनाने के लिए भी प्रशिक्षित कर रहा है.


ग्राउंड जीरो पर ZEE NEWS


ज़ी न्यूज़ की टीम BSF के जवानों को दी जाने वाली ट्रेनिंग को देखने के लिए सीमा क्षेत्र में पहुंची. प्रशिक्षण में हमले, ऐम्बुश, मुठभेड़, बंधक बनाने जैसी स्थिति और सीमा पार से होने वाली घुसपैठ से कैसे निपटना है, इन सभी चीजों पर फोकस रहता है. बंधकों को नुकसान पहुंचाए बिना हालात से निपटने के लिए बीएसएफ के जवानों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है.


यहां सैनिकों को आतंकवादियों से आमने सामने निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. छिपे हुए आतंकवादियों पर हमला करने के लिए तकनीक का उपयोग किया जाता है. छुपे हुए दुश्मन पर वार करने के लिए डेटा बेस 81एमएम मोटर का उपयोग किया जाता है. 81 मिमी मोर्टार लॉन्चर में उन्हें बस अपना टारगेट फिक्स करके पुश करना होता है जहां वे विस्फोट करना चाहते हैं. केवल एक पुश बटन के साथ ये टीम हमला कर सकती है. इसकी मारक क्षमता लगभग 5 किलोमीटर है. यहां सैनिकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है.


सुरक्षा के लिए लगातार निगरानी


एलओसी के नजदीक अग्रिम स्थानों पर तैनात सीमा सुरक्षा बल, सीमाओं की सुरक्षा के लिए लगातार निगरानी रख रहे हैं. नए उच्च तकनीक वाले निगरानी उपकरणों का उपयोग करने के अलावा अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में दिन रात गश्त की जाती है. नशीले पदार्थों और हथियारों और गोला बारूद की तस्करी को रोकने के लिए एलओसी के करीब के इलाकों में समय-समय पर घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाया जाता है. सैनिकों का मनोबल हमेशा ऊंचा रहता है. क्योंकि अधिकारी हर परिस्थिति में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं. अधिकारी अपने जवानों का मनोबल बढ़ाते हैं. वहीं दुर्गम सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिक को हर तरह की सहायता और सुविधा प्रदान की जाती है.


युद्ध जैसी स्थितियों में सैनिकों को प्रेरित और शारीरिक, मानसिक रूप से फिट रखना सबसे कठिनकार्यों में से एक है इसलिए जवानों को हर दिन सुबह के कठिन प्रशिक्षण सत्र से गुजरना पड़ता है जो उन्हें शारीरिक रूप से फिट और मानसिक रूप से मजबूत रखता है. इसके लिए कम जगह और कम समय कठिन परीक्षण करना यहां देखने को मिलता है. सरकार ने सुरक्षा बलों को नवीनतम और सर्वोत्तम उपकरण उपलब्ध कराये हैं. सैनिक इन नवीनतम हथियारों और गोला बारूद के साथ प्रशिक्षण भी ले रहे हैं. ऐसे में दुश्मन उस नियंत्रण रेखा को पार नहीं कर सकता, जहां यह  देश के वीर सपूत रखवाली कर रहे हैं.