आखिर ऐसा क्या हुआ, इंडिया गठबंधन के भागीदारों ने कांग्रेस के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया?
पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले कई दौर की बैठकों के बाद गाजे-बाजे के साथ इस गठबंधन को बनाया गया, लेकिन आज हालात ये हो गए हैं कि इस गठबंधन के सबसे बड़े पाटर्नर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सभी एक-एक करके गठबंधन छोड़ रहे हैं.
साल 1959 में एक फिल्म आई थी कागज के फूल, गुरुदत्त इस फिल्म के अभिनेता थे. उनपर एक मशहूर गाना फिल्माया गया था, जिसके बोल थे- देखी जमाने की यारी, बिछड़े सभी बारी-बारी.... ऐसा ही कुछ इंडिया गठबंधन में हो रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले कई दौर की बैठकों के बाद गाजे-बाजे के साथ इस गठबंधन को बनाया गया, मकसद था NDA गठबंधन को कड़ी चुनौती देना, लेकिन आज हालात ये हो गए हैं कि इस गठबंधन के सबसे बड़े पाटर्नर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सभी एक-एक करके गठबंधन छोड़ रहे हैं.
धूमधाम से बना इंडिया गठबंधन अब टूट चुका है?
जी हां राजनीति में ये मोड़ चुनाव और हार है. ऐसा ही कुछ इंडिया गठबंधन में है, लोकसभा चुनाव से पहले धूमधाम से बना इंडिया गठबंधन अब टूट चुका है. इंडिया गठबंधन के टूटने का सूत्रधार बना दिल्ली चुनाव और केजरीवाल. केजरीवाल ने अकेले चुनाव लड़ने के फैसला किया. फिर क्या था दिल्ली में कमजोर कांग्रेस को इंडिया गठबंधन ने किनारे लगा दिया. अब मुकाबला त्रिकोणीय है और इंडिया गठबंधन की पार्टियां कांग्रेस को नहीं आम आदमी पार्टी को सपोर्ट कर रही है.
अब केजरीवाल ने छेड़ दिया जाट आरक्षण का मुद्दा
दिल्ली को जीतने के लिए केजरीवाल ने आज 8 सीटों पर जिताऊ वोटर्स जाट के आरक्षण का मुद्दा छेड़ दिया. अब जाट आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस एक साथ एक सुर में केजरीवाल पर हमला कर रहे हैं. दिल्ली में चुनाव होने में 4 हफ्ते से भी कम का समय बचा हुआ है, अब तक इस चुनाव में कई ट्विवस्ट आ चुके हैं. इंडिया गठबंधन का टूटना इसमें सबसे बड़ा ट्विवस्ट है. अब तो इंडिया गठबंधन बस यही कह रहा है. सब छूटे बारी...बारी.