India on PoK Update: PoK में हो रहे विरोध प्रदर्शनों से जहां पाकिस्तान की चूलें हिली हुई हैं. वहीं भारत खामोशी के साथ पूरे हालात पर नजर बनाए हुए है. करीब 4 दिनों की चुप्पी के बाद भारत ने आज इस मसले पर अपना औपचारिक बयान जारी किया. भारत ने आज कहा कि पीओके के कई हिस्सों में चल रहा विरोध प्रदर्शन उस इलाके के संसाधनों पर पाकिस्तानी लूट की निरंतर नीति का एक स्वाभाविक परिणाम है, जो उसके जबरन और अवैध कब्जे की वजह से बनी है.


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PoK में संसाधनों की चल रही लूट- भारत


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने रिपोर्ट देखी है कि पिछले कुछ दिनों में वहां विरोध प्रदर्शन हुआ और उसमें कुछ लोग हताहत हुए. वहां जिस प्रकार की नीतियां चल रही हैं और संसाधनों को जिस प्रकार से लूटा जा रहा है. यह विरोध उसी का परिणाम है. जहां तक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की बात है, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू, लद्दाख, कश्मीर भारत के अभिन्न अंग हैं और हमेशा रहेंगे.'


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन की रिपोर्ट देखी हैं. हमारा मानना ​​है कि पाकिस्तान की ओर से बनाई गई शोषणकारी नीतियां वहां के स्थानीय लोगों को उनके अपने संसाधनों पर अधिकार और उसके लाभों से वंचित करती हैं.'


'वहां के लोग अपनी तुलना जम्मू- कश्मीर से कर रहे'


जायसवाल ने जम्मू- कश्मीर से पीओके की तुलना करते हुए कहा, 'मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि पीओके में रहने वाला कोई व्यक्ति उनकी स्थिति की तुलना वास्तव में जम्मू-कश्मीर में रहने वाले किसी व्यक्ति से कर रहा है और कह रहा है कि आज लोग वास्तव में वहां कैसे प्रगति कर रहे हैं.'


कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में चौथे व्यक्ति की गिरफ़्तारी पर भी भारत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. रणधीर जायसवाल ने कहा कि कनाडा सरकार ने अभी तक इस संदर्भ में कोई आधिकारिक जानकारी भारत सरकार कि साथ साझा नहीं की है. कनाडा में भारतीय छात्रों के बड़ी संख्या में डिपोर्टेशन किए जाने की चर्चाओं पर जायसवाल ने कहा, 'हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली है और न ही इस तरह की कोई सूचना हमारे साथ साझा की गई है.' 


चाबहार समझौते पर न अपनाएं संकीर्ण दृष्टिकोण- विदेश मंत्रालय


ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह और सहयोग समझौते पर पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इसके जरिए भारत को अफ़ग़ानिस्तान के लिए मानवीय सहायता पहुंचाने में मदद मिलती है. उन्होंने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान पर रुस के विशेष दूत एम्बेसेडर काबुलोव भारत आए थे. इस दौरान  अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय सहायता दिए जाने को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा हुई.



उन्होंने कहा कि चाबहार समझौते पर संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाना चाहिए क्योंकि इससे चारों ओर से जमीन से घिरे अफगानिस्तान, मध्य एशिया और पूरे क्षेत्र को फायदा होगा. इसका मकसद इन देशों को व्यापार करने के लिए सस्ता-सुलभ रूट उपलब्ध करवाना है. 


भारत पीओके पर अपना दावा नहीं छोड़ेगा- राजनाथ सिंह


बता दें कि पीओके की स्थिति को लेकर भारत को राजनीतिक हलकों में पिछले कुछ दिनों से लगातार बयान आ रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत पीओके पर अपना दावा कभी नहीं छोड़ेगा लेकिन उसे बलपूर्वक इस पर कब्जा नहीं करना होगा क्योंकि कश्मीर में विकास को देखने के बाद वहां के लोग खुद ही भारत का हिस्सा बनना चाहेंगे. 


राजनाथ सिंह ने कहा था, 'मुझे लगता है कि भारत को कुछ नहीं करना पड़ेगा. जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में जमीनी हालात बदले हैं, जिस तरह से क्षेत्र में आर्थिक प्रगति हो रही है और जिस तरह से वहां शांति लौटी है, मुझे लगता है कि पीओके के लोगों की ओर से मांग उठेगी कि वे भारत के साथ विलय होना चाहिए.' इस हफ्ते की शुरुआत में विदेश मंत्री जयशंकर ने भी कहा था कि पीओके भारत का था, है और हमेशा रहेगा. इसे दुनिया की कोई ताकत भारत से छीन नहीं सकती.