नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा विवाद के बीच देश में हिंदी-चीनी बाय-बाय और चीनी उत्पादों के बहिष्कार का नारा बुलंद हो गया है. सरकार ने भी चीनी सामानों पर निर्भरता कम करने और देश को आत्मनिर्भरता बनाने के लिए कमर कस ली है और इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. जानकारों का मानना है कि चीन, भारत में इंपोर्ट हो रहे बिजली के उपकरणों के जरिए भारत की जासूसी कर सकता है.


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सरकार का कहना है कि घरेलू मार्केट में उपलब्ध बिजली के सामान, उपकरणों का इंपोर्ट भी जल्दी ही बंद होगा. अगर कहीं कुछ सामान इंपोर्ट करना पड़ रहा है तो अगले तीन साल में सभी इंपोर्ट वाले सामान देश में ही बनाने की सुविधा खड़ी की जाएगी. इसके लिए टैक्स में छूट दी जाएगी और जरूरी सपोर्ट भी दिया जाएगा.


जो जरूरी सामान इंपोर्ट किया जाएगा उन सबकी मालवेयर टेस्टिंग होगी. जो सामान इस समय इंपोर्ट हो रहा है उनकी अच्छे से टेस्टिंग की जाएगी यानी कोई जासूसी जैसी चीज न हो.


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ऊर्जा मंत्री ने बिजली क्षेत्र की हाईलेवल मीटिंग में जानकारी दी है इन फैसलों के साथ ही सरकार ने कुछ अन्य फैसले भी लिए हैं. सोलर मॉड्युल, सोलर सैल, सोलर इन्वर्टर का सस्ता इंपोर्ट बंद होगा. इन पर बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाई जाएगी. बता दें कि चीन, मलेशिया और वियतनाम से आने वाले सोलर सामानों पर अभी तक केवल 20% सेफगार्ड ड्यूटी लगाई जाती है.


ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक अगस्त 2020 से बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाई जाएगी. यानी विदेश से आने वाले सोलर पैनल महंगे होंगे. जो डिवेलपर घरेलू इक्विपमेंटस के इस्तेमाल को बढ़ावा देंगे उनको कम ब्याज पर लोन देगा दिया जाएगा. 


ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि रीन्युएबल एनर्जी सामान पर कंसेशन कस्टम ड्युटी सर्टिफिकेट बंद किया जाएगा. देखने में आया है कि कैपेसिटर कंडक्टर ट्रांसफार्मर, इंडस्ट्रलियल उपकरण, ट्रांसमिशन टॉवर, केबल ये सब भारत में अच्छी क्वालिटी के बनने के बावजूद इनका आयात हो रहा है. सरकार आत्मनिर्भर अभियान के तहत इनको बढ़ाकर इंपोर्ट कम करना चाहती है. बिजली के क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना इसलिए भी जरूरी है कि कुछ खास उपकरणों के दम पर अगर बिजली ठप कर दी जाए तो हेल्थ, रक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के काम को प्रभावित किया जा सकता है. इसलिए बिजली के मामले में पूरा देसी बनना सरकार की प्राथमिकता बन गई है.


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