15 जून से अब तक करीब 40 हजार 300 बार चीनी हैकर्स ने भारतीय साइबर स्पेस में अटैक करने की कोशिश की है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर हैकर्स चीन के सिचुआन क्षेत्र में मौजूद हैं.
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नई दिल्ली: चीन इस वक्त दो मोर्चों पर एक साथ भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है. एक तो लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर और दूसरा भारत के साइबर स्पेस में. 15 जून को जहां गवलान घाटी (Galwan Valley) में सैनिकोंं के बीच झड़प हुई तो वहीं 15 जून से लेकर आज तक करीब 40,000 से भी ज्यादा बार चीनी हैकर्स ने भारत के साइबर स्पेस में अटैक करने की कोशिश की है.
15 जून से अब तक करीब 40 हजार 300 बार चीनी हैकर्स ने भारतीय साइबर स्पेस में अटैक करने की कोशिश की है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर हैकर्स चीन के सिचुआन क्षेत्र में मौजूद हैं. सिचुआन को चीन की सेना के साइबर वारफेयर विंग का हेडक्वॉर्टर बताया जाता है. हालांकि अभी तक ये बताया जाना मुश्किल है कि ये सब स्टेट फैक्टर है या नॉन स्टेट फैक्टर्स.
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इस संबंध में महाराष्ट्र साइबर इंटेलीजेंस सेल के स्पेशल IG यशस्वी यादव ने बताया कि इस अटैक के लिए चीनी हैकर्स दो तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. पहला टाइप है-Distributed Denial of Service अटैक. अगर किसी यूटिलिटी प्रोवाइडर वेबसाइट की सिर्फ 1000 लोगों की रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने की क्षमता है तो ये हैकर्स उसे हैक करके इस क्षमता को 10 लाख तक ले जाते हैं, जिससे पूरा सिस्टम ही क्रैश हो जाता है. दूसरा है "Internet Protocol Hijack". इसमें हैकर्स किसी वेबसाइट या इंटरनेट अकाउंट के ऑनलाइन ट्रैफिक को वाया चीन डाइवर्ट करके टारगेट तक ले जाते हैं, जिससे सर्विलांस में इस्तेमाल किया जा सके.
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यशस्वी यादव ने कहा कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की सबसे बड़ी कामयाबी है कि इनमें से एक भी साइबर अटैक को कामयाब नहीं होने दिया गया है. इन अटैक्स का ज्यादातर निशाना बैंकिंग सेक्टर, इन्फॉर्मेशन सेक्टर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बनाया जा रहा है जिससे बड़े स्तर पर डर को फैलाया जा सके.