जब टीम इंडिया के कैप्टन ने दक्षिण अफ्रीका में गांधी की मूर्ति लगाई, मंडेला को मिला भारत रत्न
2003 में दक्षिण अफ्रीका, केन्या और जिम्बाब्वे में क्रिकेट विश्व कप का आयोजन किया गया. उस दौरान महात्मा गांधी के संघर्ष और योगदान के लिए पीटरमैरिट्जबर्ग में तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया.
भारत ने दक्षिण अफ्रीका में 26 साल बाद पहली वनडे सीरीज जीती है. इससे पहले भारत वहां की सरजमीं पर 6 वनडे सीरीज हार चुका है. इस लिहाज से इतिहास के पन्नों में भारत का यह दौरा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. ऐतिहासिक रूप से भारत का दक्षिण अफ्रीका से पुराना नाता रहा है. अंग्रेजी राज के दौर में गिरमिटिया लोग यहां से वहां गए. उस दौर में सबसे चर्चित नाम महात्मा गांधी का है. महात्मा गांधी वहां 21 वर्षों तक रहे. वहां की रंगभेदी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सबसे पहले सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों का प्रयोग किया. ये आंदोलन वहां के भारतीयों की दारुण दशा को सुधारने का प्रयास था.
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महात्मा गांधी
वकालत के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे वकील मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने का सफर दक्षिण अफ्रीका से ही शुरू होता है. वहां उनको पहली बार रंगभेद का दंश तब सहना पड़ा, जब उनको ट्रेन में सफर के दौरान फर्स्ट क्लास डिब्बे से एक स्टेशन पर उतार दिया गया. उस स्टेशन का नाम पीटरमैरिट्जबर्ग था. सात जून, 1893 की रात जब महात्मा गांधी प्रिटोरिया जा रहे थे तो एक गोरे अंग्रेज ने फर्स्ट क्लास में उनकी उपस्थिति का विरोध किया. फर्स्ट क्लास टिकट होने के बावजूद कंडक्टर ने भी उनसे डिब्बे से उतरकर तीसरे दर्जे में सफर करने के लिए कहा. उन्होंने विरोध किया और उनको पीटरमैरिट्जबर्ग स्टेशन पर उतार दिया गया. सर्दियों की वह रात उन्होंने वेटिंग रूम में गुजारी और अंग्रेजों की रंगभेदी नीति का विरोध करने का निर्णय किया. इसी कड़ी में उन्होंने सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन वहां शुरू किए. दो दशकों के अपने प्रवास के दौरान उनके संघर्षों का ही नतीजा था कि अंग्रेजों को भारतीय समुदाय के लिए कई रियायतें देनी पड़ीं.
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2003 में दक्षिण अफ्रीका, केन्या और जिम्बाब्वे में क्रिकेट विश्व कप का आयोजन किया गया. उस दौरान महात्मा गांधी के संघर्ष और योगदान के लिए पीटरमैरिट्जबर्ग में तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया.
नेल्सन मंडेला
महात्मा गांधी के 1915 में भारत आने के बाद भी वहां के भारतीय समुदाय ने रंगभेद के खिलाफ आंदोलन जारी रखा. इसके खिलाफ संघर्ष करने वाली अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस पार्टी और उसके नेता नेल्सन मंडेला को समर्थन करती रही. नेल्सन मंडेला ने गांधी को अपनी प्रेरणा मानते हुए उनकी राजनीतिक विरासत को अपनाते हुए संघर्ष किया. इस संघर्ष में उनको 27 साल जेल में बिताने पड़े लेकिन हार नहीं मानी. इसी का नतीजा था कि 1994 में दक्षिण अफ्रीका, अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ और नेल्सन मंडेला रंगभेद से मुक्त आजाद दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति बने. गांधीवादी विचारों को आगे बढ़ाने वाले नेल्सन मंडेला को भारत सरकार ने महात्मा गांधी शांति पुरस्कार और भारत रत्न से नवाजा.
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भारत-दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट संबंध
1994 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए. रंगभेद खत्म होने के बाद 1970 से दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम पर लगी अंतरराष्ट्रीय पाबंदी भी खत्म हो गई. दोनों देशों ने क्रिकेट संबंधों को विकसित करने का फैसला किया. इसके अलावा ये दोनों ही देश राष्ट्रमंडल देशों और क्षेत्रीय समूह BRICS के सदस्य हैं.