India overtakes China Space economy: भारत 447 अरब डॉलर की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में चीन को टक्कर दे रहा है. बल्कि अब ये कहा जाए कि वो चीन की स्पेस इकोनॉमी को पीछे छोड़ रहा है तो गलत नहीं होगा. भारत, खुद को एलन मस्क की स्पेसएक्स (SpaceX) के विश्वसनीय विकल्प के रूप में अपनी दावेदारी लगातार मजबूत करता जा रहा है. भारत ने इस सेक्टर में चीन और रूस के भू-राजनीतिक अलगाव का फायदा उठाते हुए, अंतरिक्ष के आकर्षक व्यवसाय में दखल दिया है. कमाई का हालिया आंकड़ों और अनुमानों की बात करें तो केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2040 तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है.


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जल्द ही 100 अरब अमेरिकी डॉलर के पार


उन्होंने साथ ही कहा कि इससे वैज्ञानिकों को भी बेहतर कामकाजी माहौल मिलेगा. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि ‘एकेडी’ जैसी कुछ विदेशी एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि यह आंकड़ा 2040 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के पार भी पहुंच सकता है.


लगातार बढ़ रही कमाई


सिंह ने कहा, ‘वर्तमान में हमारी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था बहुत प्रभावशाली नहीं है. अभी यह करीब 80 लाख अमेरिकी डॉलर ही है. हालांकि, हम बेहद तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं अकेले विदेशी उपग्रह प्रक्षेपण में...हमने यूरोपीय उपग्रहों के प्रक्षेपण से करीब 23 से 24 करोड़ यूरो और अमेरिकी उपग्रहों के प्रक्षेपण से करीब 17 से 18 अमेरिकी डॉलर कमाए हैं.’


इसरो के रॉकेट लॉन्च की 60वीं एनिवर्सरी


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के रॉकेट प्रक्षेपण की 60वीं वर्षगांठ समारोह का यहां शनिवार को उद्घाटन करने के बाद सिंह ने कहा कि ‘अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना के साथ उद्योग में एक महत्वपूर्ण उपस्थिति स्थापित की जा सकती है. इस तथ्य से सहमत होते हुए कि भारत को अपने अंतरिक्ष क्षेत्र में संसाधन की कमी का सामना करना पड़ा उन्होंने कहा ‘हमारे पास मौजूद वैज्ञानिक कौशल से हम इससे निपट सकते हैं.’ मंत्री ने कहा कि 2025 तक भारत एक व्यक्ति को अंतरिक्ष में भेजेगा और उसे सुरक्षित वापस लाएगा.'


उन्होंने कहा, ‘इसके दो से तीन महीने पहले हमारे पास अंतरिक्ष में जाने वाली एक महिला रोबोट होगी, जो अंतरिक्ष यात्री की सभी गतिविधियों की नकल कर सकती है.’


(एजेंसी इनपुट भाषा के साथ)