DNA: 50 मीटर का स्वीमिंग टेस्ट और हर 6 महीने में 10 किमी का स्पीड मार्च...जवानों के आई नई फिटनेस पॉलिसी
Indian Army Jobs: नई पॉलिसी के मुताबिक, अब मौजूदा फिटनेस टेस्ट के अलावा हर अफसर को छह महीने में 10 किलोमीटर का स्पीड मार्च टेस्ट देना होगा. हर छह महीने में 32 किलोमीटर का रूट मार्च टेस्ट भी हर अफसर को पास करना पड़ेगा.
Armed Forces Fitness: अगर सबसे ज्यादा फिटनेस की डिमांड करने वाली नौकरियों की लिस्ट बनाई जाए तो उसमें सबसे ऊपर नाम होगा आर्म्ड फोर्सेज का. लेकिन भारतीय सेना के लिए उसके अनफिट अधिकारी और सैनिक अब चिंता का सबब बन गए हैं. क्योंकि भारतीय सैनिकों और अधिकारियों में लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं. इससे छुटकारा पाने के लिए सेना ने एक नई पॉलिसी तैयार की है.
नई पॉलिसी के मुताबिक, अब मौजूदा फिटनेस टेस्ट के अलावा हर अफसर को छह महीने में 10 किलोमीटर का स्पीड मार्च टेस्ट देना होगा. हर छह महीने में 32 किलोमीटर का रूट मार्च टेस्ट भी हर अफसर को पास करना पड़ेगा. और साल में एक बार पचास मीटर का स्वीमिंग टेस्ट भी देना होगा.
ये नई फिटनेस पॉलिसी सैनिकों और ब्रिगेडियर लेवल तक के अफसरों के लिए तैयार की गई है, जिसको लागू करने के लिए सभी कमांड्स को आदेश जारी कर दिये गये हैं. इस नई पॉलिसी के तीन प्रमुख मकसद बताए गए हैं.
पहला मकसद - फिटनेस टेस्टिंग की प्रक्रिया में एकरूपता लाना. यानी अफसरों और सैनिकों के लिए एक जैसा फिटनेस टेस्ट.
दूसरा मकसद- सैन्य अफसरों को मोटापे से दूर रखना और शारीरिक तौर पर ज्यादा फिट बनाना.
तीसरा मकसद- जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे शुगर, ब्लड प्रेशर की बीमारियों को कम करना.
नई फिटनेस पॉलिसी अफसरों को तंदुरुस्त रहने और अपनी लाइफस्टाइल सुधारने के लिए लाई गई है. जिसके तहत, सेहत का रिकॉर्ड रखने के लिए हर अफसर को आर्मी फिजिकल फिटनेस असेसमेंट कार्ड यानी APAC जरूरी कर दिया गया है.
नतीजों का रखा जाएगा ब्योरा
इस APAC में हर अफसर की सालाना फिटनेस टेस्ट के नतीजों का ब्योरा रखा जाएगा. APAC में दर्ज सालाना फिटनेस टेस्ट परीक्षणों के आधार पर अफसरों को ग्रेडिंग दी जाएगी. और इस ग्रेडिंग का असर अफसरों की प्रमोशन और पोस्टिंग पर भी पड़ेगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जो सैनिक और अफसर फिटनेस टेस्ट के मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे उन्हें पहले एक कंसल्टेशन नोटिस देकर 30 दिन की सुधार अवधि दी जाएगी. और 30 दिन में भी कोई सुधार नहीं हुआ तो उस सैनिक या अफसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जैसे कि छुट्टियों में कटौती करना और ट्रेनिंग कोर्सेज में कटौती.
तो अब सवाल ये है कि आखिर सेना को फिटनेस टेस्ट सख्त करने की जरूरत क्यों पड़ी ? इसे समझने के लिए ये जानना जरूरी है कि अभी सेना में फिटनेस के क्या नियम हैं.
मौजूदा नियमों के मुताबिक, अभी सेना में हर तीन महीने में दो टेस्ट होते हैं. एक-बैटल फिजिकल एफिशियंसी टेस्ट यानी BPET और दूसरा फिजिकल प्रोफिशियंसी टेस्ट. हर तीन महीने में हर सैनिक को अपनी फिटनेस साबित करनी होती है.
BPET में 5 किलोमीटर की दौड़, 60 मीटर की तेज दौड़, रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ना और तय समय में 9 फीट के गड्ढे को पार करना होता है. इन सारे टेस्ट में समय..सैन्यकर्मियों की उम्र के हिसाब से तय किया जाता है.
वहीं PPT की बात करें तो 2.4 किलोमीटर की दौड़, 5 मीटर शटल, पुश अप्स, चिन अप्स, सिट अप्स, सिट अप्स और 100 मीटर की स्प्रिंट होती है.
फिटनेस पॉलिसी में किए गए बदलाव
इन सभी फिटनेस टेस्ट के नतीजों को सालाना कॉन्फिडेंस रिपोर्ट यानी ACR में शामिल किया जाता है. जिसके जिम्मेदार कमांडिंग अफसर होते हैं. लेकिन नई फिटनेस पॉलिसी में इसमें भी बदलाव किया गया है. नई पॉलिसी के मुताबिक, अब इसकी जिम्मेदारी एक बोर्ड की होगी, जिसकी अध्यक्षता ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी करेंगे.
स्वस्थ शरीर ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी होती है. लेकिन जब बात सेना की हो तो स्वस्थ शरीर का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है. इसलिए सैन्य बलों को समाज के सबसे ज्यादा सेहतमंद सेक्शन में रखा जाता है. लेकिन सच ये है कि तेजी से बढ़ती लाइफ स्टाइल की बीमारियां अब देश के जवान और सैन्य अधिकारियों को भी अपना शिकार बना रही हैं.
भारतीय सेना में सैनिकों का फिटनेस टेस्ट एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और सेना को पिछले कुछ वर्षों से समय समय पर ये जानकारी भी मिलती रही है कि सेना के जवान और अफसर दोनों में ही मोटापे, हाइपरटेंशन और हाई ब्लडप्रेशन जैसी खराब लाइफस्टाइल से होने वाली बीमारियां तेजी से बढ़ रही है.
सैंपल सर्वे में सामने आईं ये बातें
वर्ष 2011 में भारतीय रक्षा मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक सैंपल सर्वे में ये पता चला था कि सेना में हर 5 में से 4 जवान प्री हाइपर टेंशन और एक तिहाई जवान मोटापे से ग्रस्त थे.
इस रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जाहिर की गई थी कि सैनिक भी आम नागरिकों की ही तरह अस्वस्थ्य भोजन की आदतों के शिकार हैं, जो ज्यादा नमक और मसाले का खाना, ज्यादा घी और तला हुआ खाना खा रहे हैं.
हालांकि तब राज्यसभा में जवाब देते हुए रक्षा मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि ICMR ने इस स्टडी के लिए ज्यादा सख्त मापदंड तय किए थे यानि सेना के हर एक जवान के वजन की सीमा तय कर दी थी, इसके साथ ही तय सीमा से ज्यादा वजन वाले जवानों के प्रोमोशन्स पर रोक लगा दी गई थी. सेना ने ये नियम भी बनाया था कि ओवर वेट जवानों और अधिकारियों को विदेश में किसी भी पोस्टिंग पर तब तक नहीं भेजा जाएगा जब तक वो अपने वजन को कम न करें.
अब नहीं मांग सकते विकलांगता भत्ता
यहां एक और दिलचस्प बात है..जो हम आपको बताना चाहते हैं । सेना में विकलांगता पेंशन उन सैनिकों को दी जाती है जो अपनी पोस्टिंग के दौरान गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं या फिर ड्यूटी के दौरान अपने अंग खो देते हैं. विकलांगता भत्ता सामान्य पेंशन से ज्यादा होती है. विकलांगता भत्ता में हाइपरटेंशन बीपी और डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को भी शामिल किया जाता था. वर्ष 2023 में CAG की एक रिपोर्ट में ये पता चला कि वर्ष 2015 से 2019 के दौरान सेना के 40 प्रतिशत अफसर और 18 प्रतिशत जवानों ने विकलांगता पेंशन हासिल की.
इसी रिपोर्ट में ये बताया गया कि विकलांगता पेंशन पाने वाले 22 प्रतिशत अफसर और 13 प्रतिशत जवानों को लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों के आधार पर विकलांगता पेंशन दी गई.
ये रिपोर्ट पिछले वर्ष आई थी. और पिछले ही वर्ष सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने फैसला दिया था कि अगर कोई जवान मोटापे से ग्रस्त है तो वो ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के लिए विकलांगता पेंशन नहीं मांग सकता. क्योंकि ये लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियां हैं और सैनिकों को ऐसी बीमारियां होने की उम्मीद नहीं की जाती.
तो जाहिर है कि भारतीय सेना में जवान हों या अफसर मोटापे, शुगर और अन्य लाइफ स्टाइल बीमारियों से जंग लड़ रहे हैं और ये जंग जीतने के लिए ही सेना नया फिटनेस फॉर्मूला लेकर आई है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि भारतीय सेना दुनिया की अकेली ऐसी सेना है जिसमें मोटापे के केस बढ़ रहे हैं.
इन देशों के सैनिक भी ओवरवेट
पिछले वर्ष अमेरिकी आर्मी के एक सर्वे में ये पता चला है कि यूएस आर्मी के 70 प्रतिशत जवान ओवरवेट हैं और इनमें भी 21 प्रतिशत से ज्यादा मोटापे के शिकार हैं. इसी तरह 2019 में ईरान की सेना पर हुई स्टडी से पता चला कि वहां के 41 प्रतिशत जवान ओवरवेट हैं.
भारतीय सेना में भी मोटापा और लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियां लंबे वक्त से चिंता का विषय बनी हुईं हैं. कुछ वर्ष पहले भी सेना की कैंटीन में ज्यादा सेहतमंद खाना और नाश्ता उपलब्ध कराने की कोशिश की गई थी. सेना कोशिश कर रही है कि सैनिक मोटापे जैसी लाइफ स्टाइल बीमारियों से बचे रहें. और इसीलिए अब सेना ने अपने जवानों और अधिकारियों के लिए नई और सख्त फिटनेस पॉलिसी तैयार की है.