Indian Aircraft: भारतीय नौसेना को पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर अगस्त में मिलने की उम्मीद है. इसके नौसेना में शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे, जिन्हें पूर्व और पश्चिम दोनों समुद्र तटों पर की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा. खबरों के मुताबिक चीन ने जून में अपने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर को समुद्र में परीक्षण के लिए उतार दिया है और चौथे की तैयारी शुरू कर दी है. 


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भारतीय नौसेना को एक और एयरक्राफ्ट की जरूरत


भारतीय नौसेना को अपनी समुद्री सुरक्षा के लिए तीन एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत है ताकि वो अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में फैले अपने विशाल समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा कर सके. भारतीय नौसेना के पास इस समय केवल एक एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य है. रूस से खरीदे गए इस एयरक्राफ्ट कैरियर की कुल लंबाई 284 मीटर और वजन लगभग 45000 टन है. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर का वजन और क्षमता लगभग इतनी ही है. भारतीय नौसेना के लिए तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर पर अभी विचार चल रहा है. हालांकि खबरों के मुताबिक इसकी डिजाइन पर काम चल रहा है. 


80 के दशक से शुरुआत कर चुका है चीन


चीन ने दूसरे देशों से कबाड़ में पड़े एयरक्राफ्ट कैरियर खरीदकर रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए अपना एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की शुरुआत 80 के दशक में कर दी थी. रूस से खरीदे गए वरयाग एयरक्राफ्ट कैरियर की मरम्मत करके चीन ने अपना पहला कैरियर लियोनिंग 2012 में बना लिया और 2016 तक इसे कार्रवाई के लिए तैयार कर लिया. 2013 में चीन ने वरयाग की ही डिजाइन पर दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर शेनडोंग बनना शुरू किया और उसे 2019 में नौसेना में शामिल कर लिया. 70,000 टन का ये एयरक्राफ्ट कैरियर चीनी फाइटर जेट्स के साथ ऑपरेट करने के लिए पूरी तौर पर तैयार है. चीन ने अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर अमेरिका के सुपर कैरियर्स के बराबर क्षमता का बनाया है. 90000 टन से एक लाख टन वजनी फुजियान नाम का ये एयरक्राफ्ट कैरियर अपने डेक से कैटापुल्ट के ज़रिए जेट्स लॉन्च करता है, जो ज्यादा ईंधन और हथियार ले जा सकते हैं. पिछले महीने यानी 17 जून को इसे समुद्र में लॉन्च कर दिया गया है. 


चीन कर रहा चौथे एयरक्राफ्ट की तैयारी


लेकिन चीन अपना चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाना शुरू कर चुका है. टाइप 4 नाम से बन रहे इस एयरक्राफ्ट कैरियर का चीन के जियांगनान शिपयार्ड पर 2017 से निर्माण शुरू हो चुका है. ये फुजियान से भी बड़ा यानी एक लाख टन से ज्यादा वजन का होगा जो अमेरिकी नौसेना के सुपरकैरियर्स के बराबर है. इसे न्यूक्लियर पॉवर से चलने वाला बनाया जा रहा है. इसमें सबसे आधुनिक हथियार, एवियोनिक्स और रडार सिस्टम हैं. इसमें सबसे नए हथियार लेजर और रेलगन लगे होंगे. रेलगन इलेक्ट्रो मैगनेटिक ताकत से बहुत तेज रफ्तार से बहुत दूर तक किसी भी अस्त्र से वार कर सकती है. इनके अस्त्रों में विस्फोटकों का इस्तेमाल नहीं होता क्योंकि इनका वजन और रफ्तार ही निशाने को तबाह करने के लिए पर्याप्त होते हैं. 


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