India Vs China Population: हमेशा से सुनते आ रहे थे कि एक दिन भारत चीन को जनसंख्या के मामले में पछाड़ देगा, वो तारीख भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है. यूएन की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आबादी 142.86 करोड़ हो गई है. जबकि चीन की जनसंख्या 142.57 करोड़ है.लेकिन जनसंख्या में नंबर वन बनना भारत के लिए अभिशाप है या वरदान? आइए समझते हैं.


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दरअसल जनसंख्या का बढ़ना आगे कुआं पीछे खाई जैसी स्थिति है. यानी आबादी का बढ़ना चुनौती जरूर है लेकिन अगर देखा जाए तो डेवेलपमेंट के काफी अवसर भी इसमें छिपे हुए हैं. संतुलन बनाना सबसे जरूरी है. अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में भारत के युवाओं का बड़ा योगदान है. आबादी में भी उनका बड़ा हिस्सा है. इकोनॉमी को आगे बढ़ाने में यह डेमोग्राफिक डिविडेंड का किरदार निभा सकता है.  


भारत में युवा आबादी ज्यादा


 यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड (यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 65 से ज्यादा उम्र से लोगों की आबादी सिर्फ 7 परसेंट है. जबकि 15 से 64 साल की आबादी 68 परसेंट है. 10 से 24 साल की आबादी का अनुपात 26 परसेंट है और 0-14 साल की आबादी 25 परसेंट है. 


वहीं इसकी तुलना चीन से करें तो वहां 60 से ज्यादा उम्र से लोगों की आबादी बहुत ज्यादा है. जैसे ही भारत के जनसंख्या में अव्वल होने की खबर आई चीन में हलचल मच गई. उसने यहां तक कहा कि वर्किंग पॉपुलेशन के मामले में वह सबसे आगे है. डेमोग्राफिक डिविडेंड में अपने आप को भारत से आगे साबित करने के लिए वह यहां तक कह रहा है कि आबादी नहीं, गुणवत्ता देखनी चाहिए.


आबादी बढ़ने से क्या होगा?


अगर आबादी बढ़ी तो इसका मतलब है कि वस्तु और सेवा की मांग बढ़ेगी. इसके लिए ज्यादा प्रोडक्शन करना होगा. इससे इकोनॉमी को भी रफ्तार मिलेगी.  यानी हेल्थ सर्विस, खाना और कपड़ों से लेकर हर वस्तु की डिमांड बढ़ेगी. इससे न सिर्फ कारोबार बढ़ेगा बल्कि उसका विस्तार भी होगा.


जनसंख्या में इजाफा होने से भारत की वर्कफोर्स भी बढ़ेगी, जो हमारे देश के लिए डोमोग्राफिक डिविडेंड के रूप में काम करती है. वर्कफोर्स में बढ़ोतरी की वजह से दुनिया में भारत प्रोडक्शन का हब बन सकता है. लेकिन जरूरी है कि उस वर्कफोर्स की एजुकेशन और ट्रेनिंग पर खासा ध्यान दिया जाए. इससे न सिर्फ प्रोडक्टिविटी सुधरेगी बल्कि क्वॉलिटी और एफिशिएंसी भी बढ़ेगी.


लेकिन सामने खड़ी हैं ये चुनौतियां


हालांकि आबादी बढ़ने की वजह से इकोनॉमी के सामने कुछ चुनौतियां मुंह फैलाए खड़ी हैं. देश में सीमित संसाधन हैं और आबादी बढ़ने के कारण इन पर बोझ पड़ना तय है. सरकार के सामने पर्यावरण, खाद्य सुरक्षा और पानी की उपलब्धता के मुद्दे पर दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं. 


लिहाजा इसके लिए सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर, ट्रांसपोर्टेशन, एजुकेशन और आवास में ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्टमेंट करना होगा. इसके अलावा आबादी बढ़ने से रोजगार मुहैया कराने की चुनौती भी खड़ी होगी. अगर हुआ तो देश में बेरोजगारों की फौज खड़ी हो जाएगी.  


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