नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते आम लोग अपने घरों कैद रहे. देश की अर्थव्यवस्था (Economy) को भी नुकसान पहुंचा लेकिन इस बीच भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने लॉकडाउन के दौरान अच्छी कमाई की है. आप सोच रहे होंगे कि जब रेल न तो सवारियां ढो रही है, न ही उसके रेगुलर ऑपरेशन शुरू हुए हैं, तो रेलवे ने कमाई कैसे की होगी? तो इसका जवाब है माल भाड़ा और रेलवे की एकदम हटकर प्लानिंग.


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माल की ढुलाई से हुई कमाई
जी हां, भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने लॉकडाउन के दौरान खूब कमाई की है और जमकर माल ढोया है. यहां तक कि इसी समय पिछले साल की कुल कमाई से भी ज्यादा कमाई इस साल रेलवे ने की है. हां, इसके लिए रेलवे ने जरूर कुछ अलग कदम उठाए हैं.


रेलवे ने क्या कदम उठाए?
भारतीय रेलवे ने लॉक डाउन (Lock down) के समय में पैसेंजर ट्रेन भले ही नहीं चलाए हों, लेकिन मालगाड़ियां जमकर चलाई. और स्पेशल टैरिफ (Special tarriff) के तहत भाड़े में भी छूट दी. रेलवे ने इसके लिए अलग-अलग कैटेगरी में अलग-अलग किराए का प्रावधान किया. जिसमें कंटेनर, राख की ढुलाई, सीमेंट, लोहे और स्टील की ढुलाई, खाद्य सामग्री की ढुलाई पर अलग किराया वसूला. इस दौरान रेलवे ने अच्छी खासी छूट भी दी.


रेलवे ने 5% से 50% तक दी किराए में छूट
कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के इस दौर में भी रेलवे ने पिछले साल अगस्त महीने के मुकाबले इस साल अगस्त में 4.3% ज्यादा माल की ढुलाई की. इस साल 81.33 मिलियन टन सामान की ढुलाई हुई, जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 77.97 मिलियन टन का था. कोरोना की वजह से यात्री ट्रेनों के न चलने से फायदा भी पहुंचा है. इसका वजह से मालगाड़ियों की औसत गति बढ़ गई. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मालगाड़ियों की औसत गति में 72% की बढ़ोतरी दर्ज की गया. यही नहीं, पिछले साल अगस्त के मुकाबले इस साल अगस्त में 94% ट्रेनों की रफ्तार ज्यादा रही.


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रेलवे की टैरिफ पॉलिसी का मिला फायदा
भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई बढ़ाने के लिए तमाम तरह की छूट दी, जिसमें भरे कंटेनर की ढुलाई पर 5% की छूट दी गई. वहीं, खाली कंटेनर पर ये छूट 25% रही. वहीं, सीमेंट फैक्ट्री, पॉवर प्लांट से राख की ढुलाई पर 40 फीसदी की छूट दी गई. रेलवे ने खाद्य सामग्री की ढुलाई पर भी टैरिफ के माध्यम से छूट दी. इसके अलावा किसान रेल भी चलाई गई. 


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