लद्दाख: चीन के साथ पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में जारी तनाव के बीच सर्दियों में भी सैनिकों की तैनाती की रहेगी और घुसपैठ का डटकर सामना करेगी. भीषण ठंड से सैनिकों को बचाने के लिए भारतीय सेना ने खास तैयारी की है. पूर्वी लद्दाख में भी सैनिकों की तैनाती सियाचिन (Siachen) की तर्ज पर रोटेशन के हिसाब से की जाएगी. सैनिकों को बेहद मुश्किल हालात में केवल 90 दिन तक तैनात रहना होगा. उसके बाद उनकी जगह दूसरे सैनिक ले लेंगे.


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पूर्वी लद्दाख में अभी तापमान -10 से -20 डिग्री
पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में तापमान अभी शून्य से 10 डिग्री से लेकर 20 डिग्री तक नीचे जा चुका है. कुछ ही दिनों में इसमें और गिरावट होगी. पूर्वी लद्दाख में पहली बार ऊंची चोटियों पर भी भारतीय सैनिक तैनात हैं. जहां सर्दियां लंबी होती हैं और तापमान बहुत ज्यादा नीचे गिर जाता है.


सर्दियों में पहली बार होगी सेना की तैनाती
भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख यानि पेंगांग झील के पूर्वी किनारे पर ठाकुंग से लेकर रेजांग ला तक पर तैनात हैं. इनमें से ब्लैक टॉप, मुखपरी, रेजांग ला, रेचिन ला जैसी चोटियों पर 29 से लेकर 31 अगस्त तक कब्जा किया गया था. इस कब्जे के बाद भारतीय सेना रणनैतिक रूप से महत्वपूर्ण जगहों पर फायदेमंद जगहों पर बैठी हुई है, लेकिन यहां सर्दियों में रहना बेहद मुश्किल है और यहां इससे पहले भारतीय सेना ने कभी स्थाई तैनाती नहीं की थी.


शून्य से 40 डिग्री नीचे जा सकता है तापमान
इन इलाकों में तापमान शून्य से चालीस डिग्री तक नीचे जा सकता है. इसके अलावा बेहद तेज चलने वाली ठंडी हवाएं मुश्किलों को और बढ़ा देती हैं. इसलिए हर सैनिक को 90 दिन तक किसी मुश्किल जगह पर तैनात रहने के बाद उसे आसान जगह पर लाया जाएगा और उसकी जगह वो सैनिक लेंगे जो अच्छी तरह से एक्लमटाइज़्ड (Acclimatize) होंगे.


अमेरिका से मंगाए गए हैं खास कपड़े
भारत ने मई में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद लगभग 50 हजार सैनिकों की तैनाती लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर की है. सेना और वायुसेना ने जुलाई से ही यहां की सर्दियों की तैयारी शुरू कर दी थी. एक बड़े अभियान के तहत राशन, केरोसिन हीटर, खास कपड़े, टेंट्स और दवाइयों को पूरी सर्दी के लिए जमा कर लिया गया है. बेहद ठंडे मौसम में सैनिकों के इस्तेमाल के लिए खास कपड़ों के 11000 सेट हाल ही में अमेरिका से लाए गए हैं. लेकिन इन व्यवस्थाओं के बावजूद मौसम सैनिकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. इसलिए सैनिकों को रोटेशन के तहत तैनात किया जाएगा, ताकि उन्हें आराम करने का समय मिल जाए.


ऊंचाई पर तैनाती के लिए सैनिकों ऐसे किया जाता है तैयार
भारतीय सेना को सियाचिन में तैनाती का चार दशकों का अनुभव है, लेकिन सियाचिन में तैनात सैनिकों की तादाद इस बार लद्दाख में तैनाती से काफी कम होती है. सैनिकों को ऊंचाई वाली जगह पर तैनात करने के लिए एक तय प्रक्रिया के तहत एक्लमटाइजेशन से गुजारा जाता है. 9 से 12 हजार फीट पर तैनाती से पहले सैनिक को उसी वातावरण में 6 दिन तक एक्लमटाइजेशन किया जाता है. 12 से 15 हजार फीट पर चार दिन और यानि कुल 10 दिन. 15 हजार से ऊपर हर 1000 फीट पर दो दिन का एक्लमटाइजेशन किया जाता है. इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी और बेहद सर्दी से सैनिकों को कई जानलेवा बीमारियों का खतरा होता है. जिनमें हाई एलीट्यूड पल्मोनरी एडेमा (High Altitude Pulmonary Edema) यानि HAPE मुख्य है.


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