नई दिल्ली : शहरी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय सशस्त्र सेना (Indian Army) को सबसे ज्यादा भरोसेमंद पेशा मानते हैं, जबकि इनमें से अधिकांश लोग राजनेताओं को संशय की दृष्टि से देखते हैं. यह जानकारी एक नए सर्वेक्षण में सामने आई है. मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस के एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों और शिक्षकों ने भारत में भरोसेमंद पेशे के मामले में क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है. 'ग्लोबल ट्रस्ट इन प्रोफेशंस' शीर्षक नामक अध्ययन के अनुसार, 'कम से कम 59 प्रतिशत शहरी भारतीयों ने राजनीति को सबसे कम भरोसेमंद पेशा बताया. उसके बाद सरकार के मंत्री (52 प्रतिशत) और विज्ञापन अधिकारी(41 प्रतिशत) का स्थान है.'


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इप्सोस इंडिया के एक अधिकारी पारिजात चक्रवर्ती ने कहा, 'सशस्त्र बलों को सर्वाधिक समर्पित बल माना गया है, जो बलिदान, प्रतिबद्धता और अनुशासन के मूल्यों से परिभाषित होते हैं.' चक्रवर्ती ने कहा, 'उसी तरह वैज्ञानिकों और शिक्षकों को भी जोरदार पेशा माना गया है, जो देश निर्माण में अपना योगदान देते हैं.'


उन्होंने कहा, 'तंत्र(सिस्टम) को साफ करने की कोशिश के बावजूद राजनेता अधिकतर लोगों का विश्वास नहीं जीत सके हैं. उसी तरह विज्ञापन पेशवरों, रुचिकर कॉपी लिखने वाले और रचनात्मकता का प्रदर्शन करने वाले, ब्रांड के गुणों को प्रदर्शित करने वालों को संदेह भरी नजरों से देखा जाता है.'


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अध्ययन के लिए, प्रत्येक देश के एक वैश्विक भरोसा सूचकांक की गणना की गई. इसके लिए सभी पेशे के कुल भरोसा अंक लिए गए और सभी पेशे के गैर-भरोसा अंक को घटा दिया गया. अध्ययन के अनुसार, आश्चर्यजनक रूप से वैश्विक भरोसा सूचकांक में भारत ने चीन के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया. वैश्विक रूप से, लोगों ने वैज्ञानिकों(60 प्रतिशत), डॉक्टरों(56 प्रतिशत) और शिक्षकों(52 प्रतिशत) को सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना.


वैश्विक स्तर पर भी नागरिकों ने राजनेताओं(67 प्रतिशत), सरकार के मंत्रियों(57 प्रतिशत), विज्ञापन अधिकारी(46 प्रतिशत) को सबसे ज्यादा गैर भरोसेमंद पेशा माना, जोकि इस मामले में भारतीय नागरिकों के मत को ही परिलक्षित कर रहा है. सर्वेक्षण में 16-74 वर्ष की उम्र के बीच के 19,587 वयस्कों के अंतर्राष्ट्रीय नमूनों को शामिल किया गया है.


इनपुट: IANS